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DESIGNER BABY क्या है? || WHAT IS A DESIGNER BABY?
क्या है डिजायनर बेबी?
हर आदमी की चाहत होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ व सुंदर हो। उसके बाल ऐसे हों, आंखें ऐसी हो वगैरह...वगैरह। आज के इस युग में वैज्ञानिक ऐसा करने में भी सक्षम हैं, इस तकनीक में भ्रूण के डीएनए से छेड़छाड़ यानी बदलाव किया जाता है।
चीन के एक शोधकर्ता ने दुनिया में पहली बार जेनेटिकली मोडिफाइड यानी डिज़ाइनर बेबी के जन्म लेने का दावा किया है. क्या आपने कभी कल्पना की है कि आप जिस तरह के बच्चे की इच्छा करें, वैसे बच्चे को जन्म दे सकें. जैसे कि आप चाहें कि आपकी भूरे रंग के बालों वाली बेटी हो या फिर गोरे रंग का बेटा हो!
डिजायनर बेबी का मतलब है कि आपका बच्चा आपकी पसंद के मुताबिक होगा. जैसे किसी कपड़े को तैयार करने में हर चीज का ख्याल रखा जाता है उसी तरह से बच्चे के अंगों की बनावट मसलन उसके बाल, आंखें आदि आपकी पसंद के मुताबिक होंगे. इस तकनीक में भ्रूण के डीएनए में बदलाव किया जाता है.
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दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग पर चिंता जताते हुए इसे विज्ञान और नैतिकता के खिलाफ प्रयोग बताया है, क्योंकि इससे भविष्य में ‘डिजाइनर बेबी’ जन्म ले सकते हैं. यानी बच्चे की आंख, बाल और त्वचा का रंग ठीक वैसा होगा, जैसा उसके माता-पिता चाहेंगे. वहीं, इस तकनीक के विकसित होने तक इसे रोकने की गुहार लगाई गई है, जिससे इस प्रयोग के खतरनाक परिणाम सामने न आएं.
क्रिस्पर तकनीक का दावा सही तो भविष्य में ऐसे बच्चों को जन्म दिया जा सकेगा जिसकी आंख, बाल, त्वचा और अन्य खूबियों का चयन खुद उसके माता-पिता कर सकेंगे.
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क्या है CRISPR तकनीक?
मानव भ्रूण को बदलने के लिए CRISPR नाम की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जो जीन में बदलाव कर सकती है. यह भी दावा किया गया है कि यह एचआईवी से पीड़ित नहीं होगा.
यहां के एक शोधकर्ता का दावा है कि उन्होंने जेनिटिकली एडिटेड (डीएनए में बदलाव) कर जुड़वां बच्चियों (लूलू और नाना) के भ्रूण को विकसित किया था. इसी महीने इनका जन्म हुआ है. मानव भ्रूण में जीन को एडिट करने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है चीन में दुनिया का पहला जेनेटिकली मॉडिफायड बच्चा पैदा होने का दावा किया गया है.
इसमें DNA को काटकर एक ख़ास जीन को नकारा बना दिया जाता है. गर्भ धारण करने की चाह में इलाज करवा रहे सात जोड़ों के भ्रूणों में बदलाव किए और अब तक सिर्फ एक कामयाब गर्भ धारण हुआ. जीन एडिटिंग CRISPR - CAS9 के जरिए की गई
दो जुड़वां बहनों के डीएनए में एक नए औज़ार के ज़रिए फेरबदल करके शोध से विज्ञान जगत में हलचल मची है. चीन के एक शोधकर्ता का दावा है कि उसने दुनिया की पहली जेनेटिकली मॉडिफाइड (genetically modified) बच्चियां बनाने में मदद की
जियांकुई ने कई साल तक लैब में चूहे, बंदर और इंसान के भ्रूण पर अध्ययन किया है। अपनी इस तकनीक के पेटेंट की उन्होंने अर्जी दी है।डीएनए में बदलाव के लिए क्रिस्पर तकनीक का इस्तेमाल किया गया. दावा ये भी किया जा रहा है कि डिजाइनर बेबी एचआईवी, एड्स से पीड़ित नहीं होगी
उन्होंने बताया कि भविष्य में ऐसे बच्चों को जन्म दिया जा सकेगा जिसकी आंख, बाल, त्वचा और अन्य खूबियों का चयन खुद उसके माता-पिता कर सकेंगे.हालांकि इससे DNA को स्थाई नुकसान पहुंच सकता है बहुत से वैज्ञानिकों का कहना है अभी इस टेक्नालॉजी के ज़रिए एक भी बच्चे का जन्म नहीं होना चाहिए डॉ किरण मुसुनुरु यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेनसिल्वेनिया की कहती हैं
वैज्ञानिक जियानकुई का कहना कि जीन एडिटिंग वयस्कों में हाल ही में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए की गई है न कि जन्म के इरादे से किसी भ्रूण की अमेरिका में जीन एडिटिंग प्रतिबंधित है। चीन और अमेरिका काफी समय से जेनिटिकली एडिटेड भ्रूण पर शोध कर रहे थे। चीन में इंसानी क्लोन बनाने और अध्ययन पर बैन है लेकिन इस तरह के शोध की इजाजत है।
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प्रक्रिया
अंडाणु और शुक्राणु का शरीर के बाहर निषेचन (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) कराया गया। जब भ्रूण तीन से पांच दिन का हुआ तो उसके जीन में बदलाव किया गया।इसमें कोशिका के स्तर तक जाकर डीएनए से रोगाणुओं वाले जीन को बाहर निकाल दिया जाता है और जरूरतमंद जीन को डाल दिया जाता है।
हालांकि शुक्राणु, अंडाणु और भ्रूण में जीन एडिटिंग अलग अध्ययन है, जिसपर बदलाव भविष्य में देखे जा सकते हैं।हालांकि जब जोड़ों से पूछा गया कि वह बदलाव किए गए जीन वाले भ्रूण को रोपित कराना चाहेंगे या सामान्य जीन वाले भ्रूण को। 22 में से 16 भ्रूण के जीन में बदलाव किया गया शोध में शामिल जोड़ों में पुरुष एड्स से ग्रस्त थे और महिलाएं इससे सुरक्षित थीं।
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सत्यता पर सवाल
इस शोध में शामिल और जुड़वा बच्चियों को जन्म देने वाले जोड़े ने अपनी पहचान गोपनीय रखी है और शोध से जुड़े काम और स्थान जैसी जानकारियों को भी गुप्त रखा गया है। इस शोध रिपोर्ट को किसी भी पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है फलस्वरूप इसकी सत्यता और पुष्टि पर भी कई सवाल किए जा रहे हैं।
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