खजुराहो के मंदिर भारतीय वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं, जिनका निर्माण तत्कालीन चंदेल वंश के शासकों द्वारा किया गया था। इन मंदिरों को 'विश्व विरासत स्थ
खजुराहो मंदिर: नागर शैली के हिंदू और जैन मंदिर
खजुराहो के मंदिर भारतीय वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं, जिनका निर्माण तत्कालीन चंदेल वंश के शासकों द्वारा किया गया था। इन मंदिरों को 'विश्व विरासत स्थल' का दर्जा देना इनके कलात्मक महत्व को दर्शाता है।
खजुराहो मंदिर से जुड़े तथ्य
I. खजुराहो हिंदू और जैन मंदिरों का एक समूह है, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।
II. चौसठ योगिनी मंदिर, ब्रह्मा और महादेव मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बने हैं और बाकी मंदिर गुलाबी या हल्के पीले रंग के बलुआ पत्थर से बने हैं।
III. खजुराहो मंदिर मध्य भारत के विंध्य रेंज में स्थित है।
IV. खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 900 से 1130 ईस्वी के बीच चंदेल वंश के शासकों द्वारा किया गया था।
V. इन मंदिरों को 1986 में यूनेस्को द्वारा 'विश्व विरासत स्थल' का दर्जा दिया गया था।
VI. खजुराहो के मंदिर ग्रेनाइट की नींव से बने हैं, जो दिखाई नहीं देते, बल्कि बलुआ पत्थर से बने हैं।
VII. ये मंदिर अपनी नागर स्थापत्य शैली और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
X. खजुराहो मंदिर वैष्णववाद, शैववाद और जैन धर्म से संबंधित हैं।
IX. ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक चंदेल शासक ने अपने शासनकाल में कम से कम एक मंदिर का निर्माण अवश्य कराया होगा। इसीलिए खजुराहो के मंदिरों का निर्माण किसी एक शासक के काल में नहीं हुआ है। वास्तव में मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के शासकों के लिए निर्माण से अधिक एक परंपरा बन गया।
X. यशोवर्मन (954 ई.) ने 'विष्णु मंदिर' का निर्माण कराया था, जिसे अब 'लक्ष्मण मंदिर' के नाम से जाना जाता है। यह अपने समय का एक अलंकृत और स्पष्ट उदाहरण है, जो चंदेला राजपूतों की प्रतिष्ठा को प्रमाणित करता है।
XI. स्थानीय परंपरा के अनुसार, कुल मिलाकर 85 मंदिर थे, लेकिन अब केवल 25 मंदिर मौजूद हैं, जो संरक्षण के विभिन्न चरणों में हैं।
XII. चंदेल वंश (1150 ई.) के पतन के बाद इन मंदिरों को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और इसके कारण स्थानीय निवासियों ने खजुराहो को छोड़ दिया और बाहर चले गए।
XIII. यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर 'कंदरिया महादेव मंदिर' है, जो 6500 वर्ग फीट में फैला है और इसके शिखर की ऊंचाई 116 फीट है।
XIV. 13वीं से 18वीं शताब्दी तक खजुराहो के मंदिर जंगलों से आच्छादित थे। जंगलों से आच्छादित होना जनता की पहुंच से बाहर रहा, लेकिन ब्रिटिश इंजीनियर टी.एस. बर्ट ने उन्हें फिर से खोजा और तभी से ये मंदिर जनता के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
XV. खजुराहो महोबा से 54 किलोमीटर दूर है। दक्षिण, छतरपुर से 45 किमी. पूर्व और सतना जिले के 105 कि.मी. पश्चिम में स्थित और मजबूत सड़कों द्वारा निकटतम रेलवे स्टेशनों यानी महोबा, सतना और झांसी से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
COMMENTS