राष्ट्रीय चिन्ह अशोक की राजधानी सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है। स्तंभ पर वास्तव में चार शेर हैं, जो एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं। इसका वृत्ता
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक: मुख्य तथ्य एक नजर में
राष्ट्रीय चिन्ह अशोक की राजधानी सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है। स्तंभ पर वास्तव में चार शेर हैं, जो एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं। इसका वृत्ताकार कंठ चक्र द्वारा चार भागों में विभाजित है। इसमें क्रमशः हाथी, घोड़े, बैल और सिंह की जीवित प्रतिकृतियां उकेरी गई हैं। यह प्रतीक पॉलिश बलुआ पत्थर के एक बड़े टुकड़े पर उकेरा गया है।
26 जनवरी 1950 को भारत सरकार द्वारा देश के प्रतीक चिन्ह को अपनाया गया था। इसमें केवल तीन शेर दिखाई देते हैं, और चौथा उनके पीछे छिप जाता है। केंद्र में देखे गए चक्र में दाईं ओर बैल और बाईं ओर घोड़ा है। बेल के आकार का कमल हटा दिया गया है। मुंडक उपनिषद से लिए गए सत्यमेव जयते (सत्य की जीत) शब्द देवनागरी लिपि में उकेरे गए हैं।
i. राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ में अशोक के स्तूप से लिया गया है।
ii. सरकार ने इस प्रतीक को 26 जनवरी 1950 को अपनाया था, जिस दिन भारत गणतंत्र बना था।
iii. इस प्रतीक में केवल तीन शेर दिखाई देते हैं, चौथा छिपा रहता है।
iv. केंद्र में दिखाई देने वाले चक्र में दाईं ओर एक बैल और बाईं ओर एक घोड़ा है।
v. राष्ट्रीय प्रतीक में दर्शाया गया शेर ताकत, साहस, आत्मविश्वास और गर्व का प्रतिनिधित्व करता है।
vi. हाथी बुद्ध का अवतार है (उसकी माँ ने सपना देखा था कि एक सफेद हाथी उसके गर्भ में प्रवेश कर गया है)।
vii. बैल वृष का प्रतीक है, बुद्ध की निशानी है। घोड़ा उस घोड़े का प्रतीक है जिस पर वह जीवन का सार खोजने के लिए घर से निकला था, जिस पर वह बैठा था। सिंह ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है।
viii. सत्यमेव जयते शब्द अबेकस के नीचे देवनागरी लिपि में लिखा गया है। ये शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं, जिसका अर्थ है 'सत्य की जीत'।
ix. थाईलैंड में सारनाथ के सिंह स्तंभ जैसी संरचना भी मिली थी।
X. यह राष्ट्रीय प्रतीक केवल आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें सर्वोच्च सम्मान और वफादारी होती है।
xi. सारनाथ के सिंह स्तंभ का उपयोग विभिन्न सरकारी कागजात पर किया जाता है और यह भारतीय मुद्रा पर भी छपा होता है।
xii. अशोक चक्र भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का हिस्सा है।
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