कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो अलग-अलग मार्ग हैं जिनमें से एक है लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) जिसे यात्रा करने में लगभग 24 दिन लगते हैं और यात्रा की अनु
कैलाश मानसरोवर यात्रा: अनुमानित खर्च और अनिवार्य शर्तें क्या हैं ?
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो अलग-अलग मार्ग हैं जिनमें से एक है लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) जिसे यात्रा करने में लगभग 24 दिन लगते हैं और यात्रा की अनुमानित लागत प्रति व्यक्ति 1.6 लाख रुपये है। इसके अलावा दूसरा मार्ग नाथुला दर्रा (सिक्किम) से होकर गुजरता है जिससे होकर यात्रा को पूरा होने में 21 दिन लगते हैं और प्रति व्यक्ति अनुमानित लागत 2 लाख रुपये है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने से पहले सभी यात्रियों को दिल्ली में यात्रा से पहले तैयारी और मेडिकल चेकअप के लिए तीन-चार दिन दिल्ली में रुकना होता है. दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट (डीएचएलआई) इस यात्रा के लिए आवेदकों की स्वास्थ्य स्थिति निर्धारित करने के लिए चिकित्सा जांच करता है।
दिल्ली सरकार सिर्फ यात्रियों के खाने और ठहरने की मुफ्त व्यवस्था करती है. यात्री चाहें तो दिल्ली में खाने-पीने का इंतजाम खुद कर सकते हैं। इस यात्रा में प्रतिकूल परिस्थितियों, बेहद खराब मौसम में उबड़-खाबड़ इलाकों से 19,500 फीट तक चढ़ना शामिल है। जो लोग शारीरिक रूप से मजबूत नहीं हैं उन्हें इस यात्रा से बचना चाहिए।
कैलाश पर्वत समुद्र तल से 22068 फीट ऊपर है और हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है, इसलिए कैलाश चीन में आता है। मानसरोवर झील से घिरा होने के कारण कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। कैलाश पर्वत हिंदुओं के लिए भगवान शिव के निवास के रूप में महत्वपूर्ण है, साथ ही यह बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए धार्मिक महत्व रखता है। यह यात्रा तिब्बत से भी होकर गुजरती है, इसलिए यात्रियों को चीन से वीजा लेना पड़ता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग क्या है ?
इस यात्रा के लिए दो अलग-अलग मार्ग हैं, एक है लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) जिसे यात्रा करने में लगभग 24 दिन लगते हैं और यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति अनुमानित लागत 1.6 लाख रुपये है। इसके जरिए 18 जत्थे यात्रा पूरी करते हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा को पूरा करने का एक अन्य तरीका नाथुला दर्रा (सिक्किम) के माध्यम से है जिसके माध्यम से यात्रा को पूरा होने में 21 दिन लगते हैं और प्रति व्यक्ति अनुमानित लागत 2 लाख रुपये है। इस मार्ग से 8 जत्थे यात्रा पूरी करते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए कौन पात्र है ?
1. तीर्थयात्री भारतीय नागरिक होना चाहिए
2. विदेशी नागरिक आवेदन करने के पात्र नहीं हैं; इसलिए ओसीआई कार्ड धारक पात्र नहीं हैं
3. आवेदक के पास चालू वर्ष की 1 सितंबर की स्थिति के अनुसार 6 महीने की न्यूनतम शेष वैधता अवधि वाला भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए
4. आवेदक की आयु न्यूनतम 18 और अधिकतम 70 वर्ष होनी चाहिए
5. आवेदक का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या उससे कम होना चाहिए
6. आवेदक शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ होना चाहिए
यहां यह बताना जरूरी है कि यात्रा पर जाने वाले लोगों के नाम कंप्यूटर की मदद से लकी ड्रा से निकाले जाते हैं। इस यात्रा में भाग लेने के लिए लोगों को विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा, साथ ही यह भी बताना होगा कि वे किस मार्ग या पास (लिपुलेख या नाथुला) से यात्रा करना चाहते हैं।
इस यात्रा का आयोजन कौन करता है ?
यात्रा का आयोजन दिल्ली, उत्तराखंड और सिक्किम राज्य सरकारों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सहयोग से किया जाता है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) और उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर बैच को सहायता और सुविधाएं प्रदान करते हैं। यह यात्रा विदेश मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयोजित की जाती है।
(यात्रियों को नाश्ता देते आईटीबीपी के जवान)
दौरे का आयोजन कब किया जाता है ?
विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर तक दो अलग-अलग मार्गों - लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), और नाथू-ला दर्रा (सिक्किम) के माध्यम से इस यात्रा का आयोजन करता है।
इस यात्रा के लिए भारत सरकार कितनी आर्थिक सहायता देती है ?
इस यात्रा को पूरा करने का काम विदेश मंत्रालय, भारत सरकार का है। विदेश मंत्रालय यात्रियों को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है। इस यात्रा का पूरा खर्च यात्री को खुद वहन करना होगा।
(कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे लोगों के साथ विदेश मंत्री)
भारत सरकार यात्रा के लिए शर्तें
भारत सरकार किसी भी यात्री की मृत्यु या चोट या किसी प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारण से उसकी संपत्ति के नुकसान या क्षति के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होगी। सरकार सभी यात्रियों को इस यात्रा के रास्ते में आने वाली सभी जटिल समस्याओं के बारे में पहले ही बता देती है।
यदि किसी तीर्थयात्री की सीमा पर मृत्यु हो जाती है, तो सरकार की ओर से उसके पार्थिव शरीर को दाह संस्कार के लिए भारत लाने की कोई बाध्यता नहीं होगी। इसलिए मौत पर चीन में होगा शव का अंतिम संस्कार; इस सहमति फॉर्म पर सभी यात्रियों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
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