जानिए कुर्मी जाति का इतिहास
कुर्मी एक ऐसी जाति है जिसका इतिहास शायद सभी जातियों से पुराना है, इस जाति का इतिहास बहुत पुराना है। इस जाति के कई लोग अपने नाम के आगे सिंह, पटेल या फिर कई लोग सिन्हा और कई अन्य उपनाम जोड़ते हैं। लेकिन इनमें से सबसे प्रसिद्ध उपनाम पटेल है, जिसे इस जाति के अधिक से अधिक लोग अपने नाम के आगे लगाते हैं। आज कुर्मी जाति न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर फैली हुई है।
इस जाति के लोग किसान, व्यवसायी या कई लोग विभिन्न प्रकार की नौकरियों में हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा उपनाम वाले लोगों में पटेल पहले स्थान पर आते हैं। लेकिन मुझे नहीं पता कि लोग पटेल टाइटल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा क्यों करना पसंद करते हैं. संभव है कि सरदार पटेल इसी जाति के थे या इस जाति के कई लोग आज भी बड़े पदों पर हैं. अगर हम राजनीति की बात करें तो सबसे पहला नाम सरदार पटेल का आता है, जो भारत के पहले गृह मंत्री थे।
आगे की बात करें तो वर्तमान में पहला उदाहरण बिहार का है जहां 16 साल से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री पद पर हैं, दूसरा गुजरात से हार्दिक पटेल हैं जो कांग्रेस के बहुत बड़े नेता हैं, उत्तर प्रदेश की राजनीति की बात करें. तो सबसे पहला नाम आता है आनंदी बेन पटेल का और अगला नाम है अनुप्रिया पटेल का. इस तरह कुर्मी जाति से कई मशहूर हस्तियां निकली हैं और आगे भी निकलती रहेंगी. आज इस आर्टिकल में हम कुर्मी यानी पटेल जाति से जुड़े उन सभी सवालों को जानने की कोशिश करेंगे जिन्हें लोग अक्सर गूगल और कई जगहों पर सर्च करने की कोशिश करते हैं।
कुर्मी शब्द की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न सिद्धांत हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार, यह संस्कृत के "कृषि कर्मी" शब्द से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है कृषि कार्य करने वाला। अन्य मतों के अनुसार, यह "कोमी" शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है हल चलाने वाला।
इतिहास में, कुर्मी जाति को उनकी कृषि कौशल, मेहनत और उन्नत खेती तकनीकों के लिए जाना जाता था। मुगल और ब्रिटिश काल में, उन्हें उनकी कार्यकुशलता और उत्पादकता के लिए सराहा गया। 18वीं शताब्दी में, पश्चिमी बिहार में कुर्मी समुदाय ने उज्जैनिया राजपूतों के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ विद्रोह में भाग लिया। 20वीं सदी में, कुर्मी जाति ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की, विशेषकर बिहार में, जहां उन्होंने शिक्षा, नौकरशाही और राजनीति में प्रमुख स्थान हासिल किया।
कुर्मी जाति के उपनाम और शीर्षक
कुर्मी समुदाय विभिन्न उपनामों और शीर्षकों का उपयोग करता है, जो क्षेत्र और सांस्कृतिक प्रभावों के आधार पर भिन्न होते हैं। कुछ प्रमुख उपनाम और शीर्षक इस प्रकार हैं:
- पटेल: मुख्यतः गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्रचलित।
- महतो: झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सामान्यतः उपयोग होता है।
- कुरमी: उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रचलित।
- कुड़मी: झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में उपयोग होता है।
- नायडू: आंध्र प्रदेश में कुर्मी समुदाय के लोग इस उपनाम का उपयोग करते हैं।
- रेड्डी: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्रचलित।
इन उपनामों के अलावा, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधताओं के आधार पर अन्य उपनाम भी प्रचलित हैं।
पटेल कौन हैं?
कुर्मी जाति के लोग अक्सर अपने नाम के आगे पटेल लगाना पसंद करते हैं. पटेल वे लोग हैं जिन्हें धर्म से हिंदू और जाति से कुर्मी कहा जाता है। भारत में कुर्मियों की सबसे बड़ी आबादी गुजरात में पाई जाती है। कुछ कुर्मी वो हैं जो खुद को महाराज शिवजी का वंशज मानते हैं, जबकि कुछ कुर्मी वो हैं जो खुद को क्षत्रिय वंश का मानते हैं, कुछ खुद को सरदार पटेल का वंशज मानते हैं और कुछ खुद को कुश का वंशज मानते हैं। इस प्रकार विभिन्न कुर्मी जातियाँ स्वयं को पटेल के रूप में प्रकट करने के लिए विभिन्न प्रकार की मान्यताओं का पालन करती आ रही हैं।
ब्रिटिश काल में कुर्मी जाति के लोग स्वयं को पाटीदार कहते थे। पाटीदार वे लोग थे जिनके पास ज़मीन थी। इस तरह देखा जाए तो आज के समय में कुर्मी अलग-अलग उपनामों में बंटे हुए हैं जैसे कुछ लोग अपने नाम में सिंह लगाते हैं, कुछ चौधरी और कुछ लोग अपने नाम में सिन्हा भी लगाते हैं। लेकिन भारत में कुर्मी अपने नाम के साथ पटेल लगाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।
भारत में पटेलों की संख्या
भारत में पटेलों की संख्या गुजरात, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक है। अगर गुजरात की बात करें तो गुजरात में पटेलों की संख्या अन्य जातियों से कहीं ज्यादा है.
पूरे भारत में कुर्मियों की संख्या 2 करोड़ से अधिक है, जिनमें से 7.5 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में और लगभग 5 प्रतिशत बिहार में हैं।
कुर्मी शब्द की उत्पत्ति
प्राचीन काल में कुर्मी आदि कृषकों की एक जाति हुआ करती थी जिसे कुटुम्ब कहा जाता था तथा उनके परिवार के सदस्यों को सूचित करने वाली संज्ञा 'कुटुम्बिन' होती थी। धीरे-धीरे बोलचाल की भाषा से 'कुटुम्बी' शब्द लुप्त हो गया और लोग स्वयं को 'कुम्बी' कहने लगे। फिर धीरे-धीरे 'कुर्मी', 'कुनबी', 'कनवी' आदि शब्द प्रयोग में आने लगे और लोगों ने धीरे-धीरे इसे भी बदल दिया और खुद को कुर्मी कहना शुरू कर दिया। वह अपना नाम पटेल बताने लगे और अपनी जाति कुमी बताने लगे।
पटेल कुल की देवी
आपको बता दें कि पटेल के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कुलदेवता और कुलदेवता हैं। बिहार के कुछ जिलों के कुर्मी समुदाय शाखा बाबा को अपना कुल देवता मानते हैं। तो कुलदेवी बंधी माता हैं। यह पूजा केवल कुर्मी समाज में सावन माह के आखिरी बुधवार को की जाती है। जिसे लोग बुधवारी पूजा के नाम से भी जानते हैं. इसी प्रकार राज्य के कुर्मियों के कुलदेवता एवं कुलदेवता भी अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं।
कुर्मी या पटेल
कुर्मी या पटेल दोनों एक ही जाति के नाम हैं जिनकी अन्य धर्मों में कई जातियाँ हैं जैसे हिंदू धर्म के लोग, उसी तरह हिंदू धर्म में भी एक जाति का नाम कुर्मी है जिसका शीर्षक पटेल है। पटेल का इतिहास बहुत पुराना है जो मैं आपको ऊपर बता चुका हूँ। पटेल आज पूरी दुनिया में मशहूर हैं, वह इस समय भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा पटेल अमेरिका में रहते हैं, कुछ वहां की कंपनियों में काम करते हैं तो कुछ बड़े कारोबार में लगे हुए हैं।
पटेल की उपाधि
भारत में पटेल लोगों को ओबीसी श्रेणी में रखा गया है, जबकि गुजरात के पटेलों को सामान्य श्रेणी में रखा गया है। भारत में कुर्मी के कई उपनाम हैं, जैसे आड्रोजा, अंबानी, अमृतिया, अघरा, अरवधिया, अर्देसन, अम्बालिया, अकबरी, सिंह, चौधरी, पटेल आदि। इसके अलावा और भी कई उपनाम हैं जिन्हें पटेल की श्रेणी में रखा गया है या कुर्मी.
राज्यवार कुर्मी जनसंख्या प्रतिशत
कुर्मी जाति की जनसंख्या विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है। हालांकि, सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन सामान्यतः निम्नलिखित राज्यों में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है:
- उत्तर प्रदेश: कुर्मी जाति राज्य की प्रमुख पिछड़ी जातियों में से एक है।
- बिहार: यहाँ कुर्मी समुदाय की महत्वपूर्ण जनसंख्या है, विशेषकर पटना, नालंदा और गया जिलों में।
- मध्य प्रदेश: राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुर्मी समुदाय निवास करता है।
- गुजरात: यहाँ पटेल उपनाम से जाने जाने वाले कुर्मी समुदाय की बड़ी संख्या है।
- महाराष्ट्र: कुर्मी समुदाय राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है।
- झारखंड: कुड़मी महतो के रूप में जाना जाने वाला यह समुदाय राज्य की प्रमुख कृषक जातियों में से एक है।
- ओडिशा: यहाँ भी कुड़मी महतो समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
- पश्चिम बंगाल: राज्य के कुछ हिस्सों में कुड़मी महतो समुदाय निवास करता है।
कुर्मी जाति की जनसंख्या और उनके प्रतिशत के बारे में सटीक आंकड़े समय-समय पर सरकारी जनगणना और सर्वेक्षणों के माध्यम से ही उपलब्ध हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, कुर्मी जाति भारत की कृषि और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला समुदाय है, जिसने अपने मेहनत और कौशल के माध्यम से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त की है।
(FAQ)
1. कुर्मी जाति कौन हैं?
कुर्मी जाति भारत की एक प्रमुख कृषक समुदाय है, जो मुख्य रूप से कृषि कार्यों से जुड़ी रही है। यह जाति उत्तर भारत, मध्य भारत और कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों में भी पाई जाती है।
2. कुर्मी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
कुर्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के "कृषि कर्मी" या "कृषिकर्मी" से मानी जाती है, जिसका अर्थ है कृषि करने वाला। कुछ विद्वानों के अनुसार, यह "कोमी" शब्द से भी आया हो सकता है, जिसका अर्थ हल चलाने वाला होता है।
3. कुर्मी जाति का इतिहास क्या है?
कुर्मी जाति प्राचीन काल से कृषि कार्य में संलग्न रही है। यह जाति मुगल और ब्रिटिश काल में कृषि उत्पादकता के लिए प्रसिद्ध थी। 18वीं शताब्दी में बिहार और उत्तर प्रदेश में कुर्मी समुदाय ने विद्रोह और सामाजिक सुधार आंदोलनों में भाग लिया।
4. कुर्मी जाति को भारत में किस सामाजिक वर्ग में रखा गया है?
अधिकांश राज्यों में कुर्मी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में रखा गया है। हालांकि, कुछ राज्यों में इसकी स्थिति भिन्न हो सकती है।
5. कुर्मी जाति के प्रमुख उपनाम (Surname) क्या हैं?
कुर्मी जाति के विभिन्न उपनाम इस प्रकार हैं:
- पटेल (गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र)
- महतो (झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल)
- रेड्डी (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना)
- नायडू (आंध्र प्रदेश)
- कुड़मी (झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल)
- सिंह (उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में)
6. कुर्मी जाति किन राज्यों में पाई जाती है?
कुर्मी जाति मुख्य रूप से निम्नलिखित राज्यों में पाई जाती है:
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- गुजरात
- झारखंड
- ओडिशा
- पश्चिम बंगाल
- आंध्र प्रदेश
- छत्तीसगढ़
7. कुर्मी जाति की जनसंख्या भारत में कितनी है?
भारत में कुर्मी जाति की जनसंख्या विभिन्न राज्यों में फैली हुई है, लेकिन इसका सटीक प्रतिशत समय-समय पर जनगणना और सरकारी रिपोर्ट्स के माध्यम से ही निर्धारित किया जाता है।
8. क्या कुर्मी जाति को आरक्षण प्राप्त है?
हाँ, अधिकांश राज्यों में कुर्मी जाति को OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) में रखा गया है और इसे शिक्षा व सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्राप्त है।
9. क्या कुर्मी जाति का कोई प्रसिद्ध नेता या समाज सुधारक रहा है?
हाँ, कुर्मी जाति के कई नेता और समाज सुधारक हुए हैं, जिनमें सर छोटू राम, तिकैत महोदय और हाल ही में कई राजनीतिक हस्तियाँ शामिल हैं।
10. कुर्मी जाति की प्रमुख पहचान क्या है?
कुर्मी जाति को उनके कृषि कौशल, मेहनती स्वभाव और सामाजिक उन्नति में योगदान के लिए जाना जाता है। यह जाति ऐतिहासिक रूप से जमींदारी प्रथा से भी जुड़ी रही है और आधुनिक भारत में राजनीति, शिक्षा और उद्योगों में अपनी पहचान बना रही है।
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