जानिए 2G स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में : क्या यह भारत का सबसे बड़ा घोटाला था ? | Know about 2G spectrum scam: Was it India's biggest scam in hindi ?

2G स्पेक्ट्रम घोटाला भारत के सबसे चर्चित और विवादित घोटालों में से एक है। यह घोटाला 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार (कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार) के

जानिए 2G स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में : क्या यह भारत का सबसे बड़ा घोटाला था ?  

2G स्पेक्ट्रम घोटाला भारत के सबसे चर्चित और विवादित घोटालों में से एक है। यह घोटाला 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार (कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार) के कार्यकाल में हुआ था। इस घोटाले का खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लेकिन यह घोटाला हकीकत था या एक राजनीतिक आरोप—इस पर आज भी बहस जारी है।

2G Spectrum Scam

📌 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का सारांश

  • 📅 साल: 2008

  • 👤 मुख्य आरोपी: ए. राजा (तत्कालीन दूरसंचार मंत्री), कनिमोझी (डीएमके नेता)

  • 💰 कथित घोटाले की रकम: 1.76 लाख करोड़ रुपये (CAG की रिपोर्ट के अनुसार)

  • 📝 घोटाले का प्रकार: टेलीकॉम कंपनियों को सस्ते दामों पर 2G स्पेक्ट्रम बेचना

  • ⚖️ केस का नतीजा: 2017 में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया


📌 घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

CAG रिपोर्ट (2010) के अनुसार, 2G स्पेक्ट्रम के आवंटन में भारी अनियमितताएँ थीं। स्पेक्ट्रम को पहले आओ, पहले पाओ (First Come, First Serve) की नीति के तहत दिया गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।

➡ CAG रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

✅ स्पेक्ट्रम नीलामी की जगह कंपनियों को 2001 की दरों पर बेचा गया।
✅ कई कंपनियों ने गलत जानकारियाँ देकर लाइसेंस हासिल किए।
✅ सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 122 टेलीकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए और स्पेक्ट्रम को नई नीलामी प्रक्रिया के तहत बेचा गया।


📌 क्या यह सच में घोटाला था?

➡ घोटाला था: विपक्ष और CAG का दावा

  1. CAG ने कहा कि अगर स्पेक्ट्रम की उचित नीलामी होती, तो सरकार को अधिक राजस्व मिलता।

  2. सुप्रीम कोर्ट ने नीलामी प्रक्रिया को गलत बताते हुए सभी लाइसेंस रद्द कर दिए।

  3. विपक्ष (बीजेपी) ने इसे यूपीए सरकार की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार नीति बताया।

➡ यह घोटाला नहीं था: कांग्रेस और बचाव पक्ष का दावा

  1. 2017 में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया क्योंकि घोटाले का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

  2. सरकार ने कहा कि 2G स्पेक्ट्रम कम कीमत पर देने से ग्राहकों को सस्ती मोबाइल सेवाएँ मिलीं।

  3. CAG की 1.76 लाख करोड़ की गणना सिर्फ अनुमान पर आधारित थी, और वास्तविक नुकसान साबित नहीं हुआ।


📌 2017 में आया फैसला – कोई घोटाला नहीं हुआ!

सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को कहा कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है और सभी आरोपी (ए. राजा, कनिमोझी और अन्य) बरी कर दिए गए।

👉 कोर्ट का कहना था: "अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि कोई घोटाला हुआ।"

इसके बाद, 2G घोटाला एक राजनीतिक बहस का विषय बन गया।

घोटाला या महज एक राजनीतिक मुद्दा?

✔ CAG ने 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया था, लेकिन यह साबित नहीं हो पाया।
✔ सुप्रीम कोर्ट ने गलत नीतियों की वजह से लाइसेंस रद्द किए, लेकिन यह नहीं कहा कि यह भ्रष्टाचार था।
✔ 2017 में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिससे कांग्रेस को राहत मिली।
✔ लेकिन 2G घोटाले ने यूपीए सरकार की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया, और 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बना।

2G स्पेक्ट्रम घोटाले में कौन थे आरोपी, कब हुआ, कितनी रकम का था और कौन-कौन सी कंपनियाँ शामिल थीं?

2G स्पेक्ट्रम घोटाला भारत के सबसे बड़े और चर्चित घोटालों में से एक था। यह घोटाला 2008 में यूपीए सरकार (कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार) के दौरान हुआ और इसमें टेलीकॉम स्पेक्ट्रम के आवंटन में भारी अनियमितताओं के आरोप लगे थे। CAG (कैग) रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को इस घोटाले से लगभग ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।


📌 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में आरोपी कौन-कौन थे?

इस घोटाले में कई राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और टेलीकॉम कंपनियों पर आरोप लगे। मुख्य आरोपी थे:

👤 प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक आरोपी:

  1. ए. राजा – तत्कालीन दूरसंचार मंत्री (डीएमके नेता)

  2. कनिमोझी – डीएमके नेता और राज्यसभा सांसद

  3. सिद्धार्थ बेहुरा – तत्कालीन दूरसंचार सचिव

  4. आर. के. चंदोलिया – ए. राजा के निजी सचिव

🏢 टेलीकॉम कंपनियाँ और उनके अधिकारी:

  1. यूनिटेक वायरलेस – संजय चंद्रा (यूनिटेक के एमडी)

  2. रिलायंस टेलीकॉम – गौतम दोशी, हरि नायर, सुरेंद्र पिपारा

  3. डीबी रियल्टी (Swan Telecom) – शाहिद बलवा, विनोद गोयनका

  4. कालाIGNAR TV – कंपनी को कथित रूप से DMK नेताओं से रिश्वत मिली


📌 घोटाले की रकम और आरोप क्या थे?

  • CAG (कैग) रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले से सरकार को ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।

  • टेलीकॉम कंपनियों को 2001 की दरों पर सस्ते में स्पेक्ट्रम बेचा गया, जिससे सरकार को भारी वित्तीय घाटा हुआ।

  • कुछ कंपनियों ने गलत जानकारी देकर स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल किए।

  • यह आरोप लगाया गया कि ए. राजा ने रिश्वत लेकर कंपनियों को लाइसेंस दिए।

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सभी 122 स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए और नई नीलामी का आदेश दिया।


📌 किन कंपनियों को फायदा हुआ और कैसे?

➡ जिन कंपनियों को कम कीमत पर 2G स्पेक्ट्रम दिया गया:

  1. Swan Telecom (बाद में इसका नाम बदलकर Etisalat DB रखा गया)

  2. Unitech Wireless (बाद में Telenor Group ने इसे खरीद लिया)

  3. Loop Telecom

  4. Videocon Telecommunications

  5. Reliance Communications

  6. Tata Teleservices

  7. Idea Cellular

  8. Aircel

➡ क्या हुआ इन कंपनियों के साथ?

  • Swan Telecom (Etisalat DB) – इसने बाद में अपना शेयर Etisalat (UAE की कंपनी) को बेच दिया।

  • Unitech Wireless (Telenor Group) – नॉर्वे की टेलीनॉर कंपनी ने इसे खरीद लिया।

  • Reliance, Tata और अन्य कंपनियों को भी फायदा मिला, लेकिन बाद में टेलीकॉम सेक्टर में बड़ी उथल-पुथल हुई।


📌 2017 में कोर्ट का फैसला – कोई सबूत नहीं मिला!

21 दिसंबर 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि कोई घोटाला हुआ।
👉 नतीजा: ए. राजा, कनिमोझी और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में ही 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे, जिससे साबित हुआ कि नीतियों में गड़बड़ी थी। लेकिन क्या यह जानबूझकर किया गया भ्रष्टाचार था? इस पर आज भी बहस जारी है।

(FAQ)


1. 2G स्पेक्ट्रम घोटाला क्या था?

उत्तर: 2G स्पेक्ट्रम घोटाला भारत में 2008 में यूपीए सरकार के दौरान हुआ, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों को कम कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया। CAG रिपोर्ट के अनुसार, इससे सरकार को ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।


2. 2G घोटाले में कौन-कौन शामिल थे?

उत्तर: इस घोटाले में कई राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और टेलीकॉम कंपनियों के शामिल होने के आरोप लगे। मुख्य आरोपी थे:

  • ए. राजा – तत्कालीन दूरसंचार मंत्री (डीएमके)

  • कनिमोझी – डीएमके नेता

  • सिद्धार्थ बेहुरा – दूरसंचार सचिव

  • आर. के. चंदोलिया – ए. राजा के निजी सचिव

  • कई टेलीकॉम कंपनियाँ, जैसे Swan Telecom, Unitech Wireless, Reliance Telecom आदि।


3. 2G स्पेक्ट्रम घोटाले की कुल रकम कितनी थी?

उत्तर:

  • CAG रिपोर्ट के अनुसार: ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान।

  • CBI की रिपोर्ट के अनुसार: नुकसान की सटीक गणना नहीं हो पाई।

  • 2017 में कोर्ट ने कहा कि कोई सबूत नहीं मिला।


4. 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंस किन कंपनियों को मिले थे?

उत्तर: जिन कंपनियों को कम कीमत पर 2G स्पेक्ट्रम मिला, वे थीं:

  1. Swan Telecom (बाद में Etisalat DB)

  2. Unitech Wireless (बाद में Telenor Group)

  3. Loop Telecom

  4. Videocon Telecommunications

  5. Reliance Communications

  6. Tata Teleservices

  7. Idea Cellular

  8. Aircel


5. 2G घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

उत्तर:

  • CAG (कैग) की रिपोर्ट (2010) में कहा गया कि सरकार को 2G स्पेक्ट्रम नीलामी में ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 122 टेलीकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए।

  • विपक्ष (बीजेपी) ने इसे कांग्रेस सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बताया।


6. 2G घोटाले में कोर्ट का क्या फैसला आया?

उत्तर:

  • 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 122 स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए।

  • 2017 में CBI की विशेष अदालत ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं मिला और सभी आरोपी बरी कर दिए गए।


7. क्या 2G स्पेक्ट्रम घोटाला वाकई एक घोटाला था?

उत्तर: इस पर मतभेद हैं।
CAG और विपक्ष का दावा: घोटाले से सरकार को भारी नुकसान हुआ।
यूपीए सरकार और कोर्ट का फैसला: कोई ठोस सबूत नहीं मिला, इसलिए यह भ्रष्टाचार साबित नहीं हुआ।


8. 2G घोटाले का कांग्रेस और यूपीए सरकार पर क्या असर पड़ा?

उत्तर:

  • इस घोटाले ने यूपीए सरकार की छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया।

  • 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का यह एक बड़ा कारण बना।

  • नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी सत्ता में आई।


9. सुप्रीम कोर्ट ने 2G घोटाले को लेकर क्या कहा?

उत्तर:

  • 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया गलत थी और 122 लाइसेंस रद्द कर दिए।

  • लेकिन 2017 में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया, यह कहते हुए कि कोई घोटाला साबित नहीं हुआ।


10. 2G घोटाले के बाद टेलीकॉम सेक्टर पर क्या असर पड़ा?

उत्तर:

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद कई टेलीकॉम कंपनियाँ बंद हो गईं।

  • स्पेक्ट्रम की नई नीलामी में रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी कंपनियों को फायदा मिला।

  • 2G घोटाले के बाद सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी की नई पारदर्शी नीति लागू की।


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