डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं। भारत सरकार ने नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प
जानिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 और सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम
डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं। भारत सरकार ने नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 लागू किया है। हालांकि, इस अधिनियम के कुछ प्रावधान सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रभाव डाल सकते हैं।
DPDP अधिनियम, 2023 का उद्देश्य
यह अधिनियम नागरिकों के व्यक्तिगत डिजिटल डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इसके तहत:
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डेटा प्रोसेसिंग के लिए स्पष्ट सहमति आवश्यक होगी।
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डेटा उल्लंघन की स्थिति में इसकी सूचना देनी होगी।
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डेटा संरक्षण बोर्ड (DPBI) की स्थापना की जाएगी।
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सरकारी संस्थाओं को कुछ मामलों में डेटा संग्रहण से छूट दी गई है।
इसका उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करना है।
RTI अधिनियम, 2005 और DPDP अधिनियम के बीच संबंध
RTI अधिनियम नागरिकों को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। DPDP अधिनियम के तहत RTI अधिनियम की धारा 8(1)(j) में संशोधन किया गया है, जिससे किसी व्यक्ति से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करने पर रोक लग सकती है, भले ही वह सूचना जनहित में ही क्यों न हो।
उदाहरण 1:
मान लीजिए, किसी व्यक्ति ने RTI के माध्यम से यह जानकारी मांगी कि सरकारी कर्मचारियों को दिए गए बोनस या वेतन वृद्धि का विवरण क्या है। अगर यह जानकारी व्यक्तिगत डेटा की श्रेणी में आती है, तो DPDP अधिनियम के तहत इसे साझा करने से रोका जा सकता है, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होगी।
उदाहरण 2:
मान लीजिए, एक नागरिक ने RTI के माध्यम से यह जानकारी मांगी कि किसी सरकारी परियोजना के लिए कितने ठेकेदारों को चुना गया था और उनकी व्यक्तिगत जानकारी क्या थी। अब DPDP अधिनियम के तहत, व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता बनाए रखने के लिए यह जानकारी नहीं दी जा सकती, भले ही यह जनहित में हो।
उदाहरण 3:
यदि कोई पत्रकार किसी सार्वजनिक प्राधिकरण से यह जानकारी मांगता है कि अधिकारियों ने सार्वजनिक धन का उपयोग किस प्रकार किया है, तो DPDP अधिनियम की वजह से व्यक्तिगत विवरण जैसे अधिकारियों के नाम, वेतन, या व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं हो सकता। इससे पारदर्शिता पर असर पड़ता है और भ्रष्टाचार को उजागर करने की प्रक्रिया कठिन हो सकती है।
उदाहरण 4:
मान लीजिए, एक नागरिक ने RTI के माध्यम से यह सवाल पूछा कि एक सरकारी अस्पताल में कितने कर्मचारियों की भर्ती हुई है और उनकी पृष्ठभूमि क्या है। अब DPDP अधिनियम के तहत इस प्रकार के व्यक्तिगत विवरण को गोपनीय माना जा सकता है और इसे सार्वजनिक करना RTI के तहत संभव नहीं होगा।
उदाहरण 5:
कभी-कभी RTI का उपयोग जांच एजेंसियाँ अपराधों से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए करती हैं। यदि अपराधियों के बारे में जानकारी दी जाती है, तो DPDP अधिनियम के तहत उन अपराधियों के व्यक्तिगत विवरण की सुरक्षा की जा सकती है, और यह जांच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
उदाहरण 6:
किसी शैक्षिक संस्थान ने RTI के माध्यम से यह जानकारी मांगी कि वहां कितने छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई है और उन छात्रों की पृष्ठभूमि क्या है। DPDP अधिनियम के तहत, छात्रों के व्यक्तिगत विवरण को सुरक्षित रखने के कारण ऐसी जानकारी का सार्वजनिक होना मुश्किल हो सकता है।
चिंताएँ और विवाद
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों ने इस संशोधन पर आपत्ति जताई है।
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यह पारदर्शिता और जवाबदेही को कम कर सकता है।
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सरकारी भ्रष्टाचार उजागर करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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सूचना तक पहुँच सीमित होने से नागरिकों के अधिकारों का हनन हो सकता है।
FAQ
1. डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 क्या है?
DPDP अधिनियम, 2023 एक कानून है जो व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह डेटा संग्रहण, प्रसंस्करण और भंडारण के लिए स्पष्ट नियम बनाता है, जिसमें उपयोगकर्ता की सहमति और डेटा सुरक्षा पर जोर दिया गया है।
2. DPDP अधिनियम, RTI अधिनियम को कैसे प्रभावित करता है?
DPDP अधिनियम, 2023 व्यक्तिगत जानकारी के खुलासे पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे RTI अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी की सीमा सीमित हो सकती है। जबकि RTI नागरिकों को सरकारी कार्यों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है, DPDP अधिनियम व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
3. DPDP अधिनियम और RTI अधिनियम के बीच क्या संबंध है?
DPDP अधिनियम व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए प्रतिबंधित करता है, जबकि RTI अधिनियम पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। RTI अधिनियम की धारा 8(1)(j) में संशोधन किया गया है, जिसके तहत व्यक्तिगत जानकारी के खुलासे को रोकने के लिए DPDP अधिनियम को लागू किया जाता है।
4. क्या व्यक्तिगत डेटा RTI के तहत जनहित में साझा किया जा सकता है?
हालांकि RTI अधिनियम जनहित में जानकारी साझा करने की अनुमति देता है, DPDP अधिनियम व्यक्तिगत डेटा के खुलासे पर रोक लगा सकता है। अगर जानकारी किसी व्यक्ति की निजी जानकारी से संबंधित है, तो वह RTI के तहत साझा नहीं की जा सकती।
5. क्या मैं सरकारी कर्मचारियों के बारे में RTI के तहत जानकारी मांग सकता हूं?
जी हां, आप सरकारी कर्मचारियों के बारे में जानकारी RTI के तहत मांग सकते हैं, लेकिन यदि जानकारी में व्यक्तिगत विवरण जैसे वेतन, पारिवारिक जानकारी या अन्य निजी जानकारी शामिल है, तो DPDP अधिनियम के तहत इसे साझा करने से रोका जा सकता है।
6. DPDP अधिनियम क्या सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता को प्रभावित करता है?
हां, DPDP अधिनियम सरकारी परियोजनाओं से संबंधित जानकारी तक पहुंच को सीमित कर सकता है, खासकर जब यह व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ी होती है। उदाहरण के लिए, अगर RTI के तहत ठेकेदारों या कर्मचारियों के व्यक्तिगत विवरण पूछे जाते हैं, तो DPDP अधिनियम के तहत इसे गोपनीय रखा जा सकता है।
7. DPDP अधिनियम पत्रकारिता की जांच प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करता है?
पत्रकार अक्सर RTI का उपयोग सरकारी कार्यों, भ्रष्टाचार या कुप्रबंधन की जांच के लिए करते हैं। DPDP अधिनियम के कारण व्यक्तिगत विवरण, जैसे सरकारी अधिकारियों का नाम, वेतन या पारिवारिक जानकारी सार्वजनिक करने से रोक सकता है, जिससे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना कठिन हो सकता है।
8. DPDP अधिनियम के लागू होने से कौन सी चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं?
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों का मानना है कि DPDP अधिनियम RTI की प्रभावशीलता को कमजोर कर सकता है।
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यह पारदर्शिता और जवाबदेही को कम कर सकता है।
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सरकारी भ्रष्टाचार उजागर करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
9. DPDP अधिनियम के तहत किस प्रकार की जानकारी सुरक्षित की जाएगी?
DPDP अधिनियम के तहत निम्नलिखित प्रकार की जानकारी को सुरक्षित किया जाएगा:
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पहचान विवरण (नाम, पता, संपर्क जानकारी)
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वित्तीय डेटा
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रोजगार विवरण (वेतन, बोनस)
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स्वास्थ्य रिकॉर्ड
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शैक्षिक पृष्ठभूमि
10. क्या DPDP अधिनियम के तहत व्यक्तिगत डेटा का खुलासा किया जा सकता है?
हां, व्यक्तिगत डेटा का खुलासा किया जा सकता है यदि व्यक्ति ने स्पष्ट रूप से सहमति दी हो या यदि यह कानूनी या आधिकारिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक हो। इसके अलावा, यदि सार्वजनिक हित में व्यक्तिगत डेटा का खुलासा करना जरूरी हो, तो इसे साझा किया जा सकता है। हालांकि, यह बहुत सख्त दिशानिर्देशों के तहत होगा।
11. डेटा सुरक्षा बोर्ड (DPBI) का क्या भूमिका है?
DPBI एक निगरानी निकाय होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि व्यक्तिगत डेटा को सही तरीके से संभाला जा रहा है और व्यक्तियों की गोपनीयता का उल्लंघन नहीं हो रहा है। यह शिकायतों की जांच करेगा और DPDP अधिनियम के उल्लंघन के लिए दंड लागू करेगा।
12. नागरिक अभी भी जानकारी कैसे प्राप्त कर सकते हैं, जबकि DPDP अधिनियम सीमाएँ रखता है?
नागरिक अब भी RTI के तहत गैर-व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सरकार को अपनी प्रक्रियाओं को इस तरह से बदलना होगा कि व्यक्तिगत डेटा को अन्य प्रकार की जानकारी से अलग किया जा सके, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और DPDP अधिनियम का पालन किया जा सके।
13. क्या DPDP अधिनियम RTI अधिनियम को अधीन कर देता है?
नहीं, DPDP अधिनियम RTI अधिनियम को अधीन नहीं करता। हालांकि, DPDP अधिनियम के तहत व्यक्तिगत जानकारी को साझा करने पर प्रतिबंध के कारण RTI अधिनियम की प्रभावशीलता में कुछ सीमाएँ आ सकती हैं। दोनों अधिनियमों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
14. क्या DPDP अधिनियम को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए संशोधित किया जा सकता है?
जी हां, जैसा कि किसी भी कानून के साथ होता है, DPDP अधिनियम को भविष्य में संशोधित किया जा सकता है। सार्वजनिक दबाव, न्यायिक समीक्षा या सरकारी परिवर्तनों से यह संभव हो सकता है कि दोनों के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया जा सके ताकि गोपनीयता और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित हो सकें।
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