फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति (Freight Equalization Policy) भारत सरकार द्वारा वर्ष 1952 में लागू की गई एक औद्योगिक नीति थी, जिसका उद्देश्य था कि पूरे देश में
फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति: एक समतामूलक औद्योगिक विकास की कोशिश
फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति (Freight Equalization Policy) भारत सरकार द्वारा वर्ष 1952 में लागू की गई एक औद्योगिक नीति थी, जिसका उद्देश्य था कि पूरे देश में औद्योगिक विकास को समान रूप से बढ़ावा दिया जाए। इस नीति के तहत सरकार ने भारी कच्ची सामग्रियों जैसे कोयला, लोहा, सीमेंट आदि की ढुलाई (freight) लागत को पूरे देश में एक समान कर दिया।
🎯 नीति का उद्देश्य:
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औद्योगिक विकास को केवल खनिज-संपन्न राज्यों तक सीमित न रखकर, पूरे देश में फैलाना।
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पिछड़े राज्यों को औद्योगिक विकास की मुख्यधारा में शामिल करना।
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संसाधनों से दूर बसे राज्यों को भी उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
📦 उदाहरण:
मान लीजिए झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य खनिज संपदा (जैसे कोयला, लोहा) से समृद्ध हैं। सामान्य परिस्थिति में, अगर कोई उद्योगपति तमिलनाडु या केरल में स्टील प्लांट लगाना चाहता, तो उसे भारी मात्रा में माल ढुलाई का खर्च उठाना पड़ता।
लेकिन फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति के तहत सरकार ने यह व्यवस्था की कि चाहे कोयला और लोहा झारखंड से आए या कहीं और से, पूरे देश में इसकी ढुलाई लागत एक समान होगी — अतिरिक्त खर्च सरकार वहन करेगी।
इससे तमिलनाडु का उद्योगपति भी उतनी ही कीमत में संसाधन प्राप्त कर सकता था, जितनी झारखंड का उद्योगपति।
⚖️ नीति का प्रभाव:
✅ सकारात्मक प्रभाव:
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देश के दूरदराज और पिछड़े इलाकों में भी उद्योग लगाने की सुविधा मिली।
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क्षेत्रीय असमानता को कम करने की दिशा में कदम बढ़ा।
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दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में भी भारी उद्योग स्थापित हो सके।
❌ नकारात्मक प्रभाव:
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खनिज-संपन्न राज्यों को उनके संसाधनों का उचित आर्थिक लाभ नहीं मिला।
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उद्योग उन्हीं राज्यों में लगे जहाँ अन्य बुनियादी ढांचे (जैसे बंदरगाह, बिजली, बाजार) पहले से मौजूद थे।
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स्थानीय लोगों को रोजगार और आर्थिक लाभ नहीं मिल पाया।
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संसाधन बाहर गए लेकिन राज्य पिछड़े ही रहे।
🧭 अन्य कारक व आलोचना:
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इस नीति ने "भौगोलिक लाभ" को निष्प्रभावी बना दिया।
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इससे क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने की बजाय कुछ राज्यों को और अधिक आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया।
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यह नीति लंबे समय तक चली, लेकिन 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद इसकी उपयोगिता खत्म हो गई और इसे समाप्त कर दिया गया।
फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति एक सकारात्मक सोच के साथ लाई गई नीति थी जो समान औद्योगिक विकास की अवधारणा पर आधारित थी। लेकिन इसके लाभों का असमान वितरण, स्थानीय संसाधनों के शोषण और क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ावा देने जैसे परिणामों ने इसे एक विवादास्पद नीति बना दिया।
(FAQ)
Q1: फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति क्या थी?
उत्तर:
फ्रेट इक्वलाइजेशन नीति भारत सरकार द्वारा 1952 में शुरू की गई एक औद्योगिक नीति थी, जिसके तहत कोयला, इस्पात, सीमेंट जैसे भारी कच्चे माल की ढुलाई लागत (freight) पूरे देश में समान कर दी गई थी।
Q2: इस नीति को लागू करने का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
इसका उद्देश्य देश के सभी क्षेत्रों, विशेषकर पिछड़े राज्यों में, औद्योगिक विकास को समान रूप से प्रोत्साहित करना था।
Q3: नीति के अंतर्गत सरकार ने क्या प्रावधान किए?
उत्तर:
सरकार ने यह तय किया कि जिन राज्यों में कच्चा माल नहीं है, वहां के उद्योगों को भी उसी दर पर कच्चा माल उपलब्ध कराया जाएगा जैसी दर संसाधन-संपन्न राज्यों को मिलती है। अंतर भाड़ा सरकार खुद वहन करती थी।
Q4: इसका सकारात्मक प्रभाव किन रूपों में देखने को मिला?
उत्तर:
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पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग लग सके।
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देश में क्षेत्रीय असमानता को कम करने का प्रयास हुआ।
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दक्षिण भारत जैसे क्षेत्रों को भारी उद्योगों में विकास का अवसर मिला।
Q5: इस नीति की सबसे बड़ी आलोचना क्या थी?
उत्तर:
इस नीति से खनिज-संपन्न राज्यों (जैसे झारखंड, ओडिशा) को उचित लाभ नहीं मिला। उनके संसाधन तो बाहर गए लेकिन उद्योग वहां नहीं लगे, जिससे वे आर्थिक रूप से पिछड़े ही रह गए।
Q6: यह नीति कब और क्यों समाप्त हुई?
उत्तर:
1991 के आर्थिक उदारीकरण (Liberalisation) के बाद इस नीति की प्रासंगिकता खत्म हो गई और इसे धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया, क्योंकि बाजार आधारित ढांचा अपनाया गया जिसमें प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता दी गई।
Q7: क्या इस नीति ने भारत में औद्योगिक विकास को सही दिशा दी?
उत्तर:
यह नीति समान विकास की दिशा में एक प्रयास थी, लेकिन इसके लाभ असमान रूप से वितरित हुए और स्थानीय संसाधनों का शोषण हुआ, जिससे इसकी आलोचना भी हुई।
Q8: क्या आज भी ऐसी नीति की ज़रूरत है?
उत्तर:
आज के समय में अधिकतर नीति बाजार आधारित है, लेकिन क्षेत्रीय विकास के असंतुलन को देखते हुए कुछ समतामूलक उपायों की ज़रूरत आज भी महसूस की जाती है — पर नए संदर्भों के साथ।
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