जानिए इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन" (Instrument of Accession) – एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ के बारे में | Know about the "Instrument of Accession" – an important historical document in hindi

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन एक ऐतिहासिक और कानूनी दस्तावेज़ है, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान भारतीय राज्य औ

जानिए इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन" (Instrument of Accession) – एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ के बारे में 

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन एक ऐतिहासिक और कानूनी दस्तावेज़ है, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान भारतीय राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य से जुड़े विभिन्न रियासतों के भारत में विलय के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह दस्तावेज़ उस समय के भारतीय शासकों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था, जब उन्होंने अपनी राज्य की संप्रभुता को भारतीय गणराज्य के साथ जोड़ने का निर्णय लिया था। भारत के विभिन्न प्रिंसली स्टेट्स (रियासतों) का विलय भारत में भारत के संविधान और स्वतंत्रता संग्राम के तहत हुआ, और इसके पीछे इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन का महत्वपूर्ण योगदान था।

Instrument of Accesion

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन का महत्व:

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन, या विलय पत्र (Accession Document), वह औपचारिक दस्तावेज़ था जिसके द्वारा भारतीय रियासतों ने भारत के साथ अपनी संप्रभुता को जोड़ने का निर्णय लिया। जब भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की, तो 565 रियासतें थी, जो भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन के बाद स्वतंत्र रहने या पाकिस्तान से जुड़ने का विचार कर रही थीं। भारत सरकार ने इन रियासतों को जोड़ने के लिए एक कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई, जो इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन के माध्यम से पूरी हुई।

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन की प्रक्रिया:

  1. संप्रभुता का हस्तांतरण:
    इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन के तहत, एक राज्य का शासक अपनी संप्रभुता का हस्तांतरण भारत के साथ करता था, लेकिन इसके बदले में वह राज्य अपनी कुछ विशेषाधिकारों को बनाए रखता था। इसके अंतर्गत, उन्होंने भारत के प्रमुख मामलों में भारत सरकार को अधिकार सौंपा जैसे कि विदेश नीति, रक्षा और संचार। शासक इस हस्तांतरण को स्वेच्छा से करते थे, और इसे भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त थी।

  2. विलय के बाद की शर्तें:
    इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर करने के बाद, राज्य के शासक अपनी राज्य की संप्रभुता का हिस्सा भारत में सौंप देते थे, लेकिन उनका प्रबंधन और आंतरिक मामलों का संचालन स्थानीय शासक करते थे। भारत सरकार ने राज्य की संविधान सभा में प्रतिनिधित्व की शर्त भी रखी थी।

  3. हस्ताक्षर प्रक्रिया:
    इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर करने के लिए भारतीय सरकार ने विशेष प्रक्रिया अपनाई, जिसमें राज्य के शासक भारत सरकार के साथ समझौता करते थे। इस प्रक्रिया में शासक अपने राज्य के लिए आवश्यक सुधारों और सहायता की पुष्टि करते थे, और इसके बदले भारत सरकार उन क्षेत्रों में नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त करती थी।

मुख्य रियासतें और उनका विलय:

  1. जम्मू और कश्मीर:
    जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर किए, जब पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर हमला किया गया। इसके बाद, भारतीय सेना ने कश्मीर में प्रवेश किया और राज्य के भारत में विलय को सुनिश्चित किया।

  2. हैदराबाद:
    हैदराबाद के निज़ाम ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया, लेकिन 1948 में भारत ने ऑपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद का विलय कर लिया। निज़ाम ने 18 सितम्बर 1948 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर किए।

  3. गोवा:
    पुर्तगाल द्वारा नियंत्रित गोवा ने 1961 में ऑपरेशन विजय के बाद भारत के साथ विलय किया। पुर्तगाल के लिए यह एक कठिन निर्णय था, लेकिन गोवा के भारतीय लोकतंत्र में विलय के बाद यह राज्य भारत का हिस्सा बना।

  4. सिक्किम:
    सिक्किम 1975 में भारत में विलय हुआ। सिक्किम के शासक ने 1975 में एक जनमत संग्रह के बाद भारत में शामिल होने का निर्णय लिया, और इसके बाद सिक्किम भारत का 22वाँ राज्य बना।

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन का कानूनी और राजनीतिक प्रभाव:

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन का भारत के संविधान और राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके माध्यम से, भारत ने विभिन्न रियासतों को संविधान के तहत एकत्र किया और सभी राज्यों को भारतीय संघ में समाहित किया। इस दस्तावेज़ ने भारतीय संविधान के धारा 1 (जो भारत के संघ की सीमाएँ निर्धारित करती है) और अन्य संबंधित धाराओं में संशोधन को संभव बनाया।

इस दस्तावेज़ के कारण भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को स्थापित करने में सहायता मिली, क्योंकि यह सभी राज्यों और रियासतों को भारतीय संप्रभुता के भीतर समाहित कर रहा था। इसने भारत की संविधानिक संरचना को भी मज़बूती प्रदान की और भारतीय राज्य को एक मजबूत और एकीकृत संघ में रूपांतरित किया।

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जिसने भारतीय राज्यों और रियासतों को भारतीय संघ में विलय करने का कानूनी और संवैधानिक मार्ग प्रशस्त किया। यह दस्तावेज़ न केवल भारत के राजनीतिक इतिहास का हिस्सा है, बल्कि यह भारतीय एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। इसके माध्यम से भारत ने अपने विभिन्न हिस्सों को एकजुट किया और स्वतंत्रता के बाद एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।

(FAQs)

प्रश्न 1: इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन क्या है?

उत्तर:
इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन एक कानूनी दस्तावेज़ है जिसके माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के समय रियासतों ने भारत संघ में शामिल होने की स्वीकृति दी थी। यह दस्तावेज़ राज्य के शासक द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता था और भारत सरकार द्वारा स्वीकार किया जाता था।

प्रश्न 2: यह दस्तावेज़ कब और क्यों लाया गया था?

उत्तर:
यह दस्तावेज़ 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद लाया गया, ताकि 565 रियासतें भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकें। इसका उद्देश्य रियासतों को संवैधानिक तरीके से एक आधुनिक राष्ट्र का हिस्सा बनाना था।

प्रश्न 3: इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन में कौन-कौन से अधिकार भारत सरकार को दिए जाते थे?

उत्तर:
राज्य के शासक भारत सरकार को तीन विषयों पर अधिकार सौंपते थे:

  1. रक्षा

  2. विदेश नीति

  3. संचार
    अन्य विषयों पर राज्य का आंतरिक नियंत्रण बना रहता था।

प्रश्न 4: जम्मू-कश्मीर ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन कब साइन किया?

उत्तर:
जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर किए थे, जब पाकिस्तान समर्थित कबीलियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया था।

प्रश्न 5: क्या यह दस्तावेज़ स्थायी था या अस्थायी?

उत्तर:
यह दस्तावेज़ एक कानूनी और स्थायी समझौता था। हालांकि कुछ मामलों (जैसे जम्मू-कश्मीर) में इसे विशेष दर्जा मिला, लेकिन अधिकांश रियासतों का विलय स्थायी था।

प्रश्न 6: हैदराबाद और जूनागढ़ का विलय कैसे हुआ?

उत्तर:
हैदराबाद ने पहले विलय से इनकार किया, लेकिन 1948 में भारत द्वारा "ऑपरेशन पोलो" के माध्यम से सैन्य हस्तक्षेप कर इसे भारत में शामिल किया गया।
जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान से जुड़ना चाहता था, लेकिन जनमत और जनता की मांग के आधार पर यह भारत में विलय कर दिया गया।

प्रश्न 7: क्या सिक्किम ने भी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर किए थे?

उत्तर:
सिक्किम ने पहले विशेष दर्जा प्राप्त देश के रूप में भारत के साथ संधि की थी, लेकिन 1975 में जनमत संग्रह के बाद यह भारत का पूर्ण राज्य बन गया। इसके बाद इसका भारत में औपचारिक विलय हुआ।

प्रश्न 8: इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन का भारत की एकता में क्या योगदान रहा?

उत्तर:
इस दस्तावेज़ ने भारत की राजनैतिक एकता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित किया। इसके माध्यम से भारत एक समेकित और संविधानिक रूप से संगठित राष्ट्र बन सका।

प्रश्न 9: क्या आज भी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन की कानूनी मान्यता है?

उत्तर:
इतिहास में इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी, परंतु आज भारत का संविधान सर्वोच्च है और सभी राज्य संविधान के अधीन हैं। इसलिए इसकी आज की वैधानिक भूमिका प्रतीकात्मक है।


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