जानिए अंतरिक्ष में L1 और L2 बिंदु क्या हैं ? | Know what are L1 and L2 points in space in hindi ?

जब हम अंतरिक्ष की बात करते हैं, तो "Lagrange Points" या "लाग्रांज बिंदु" एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये ऐसे खास स्थान होते हैं जहाँ दो बड़े खगोली

जानिए अंतरिक्ष में L1 और L2 बिंदु क्या हैं ?  

जब हम अंतरिक्ष की बात करते हैं, तो "Lagrange Points" या "लाग्रांज बिंदु" एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये ऐसे खास स्थान होते हैं जहाँ दो बड़े खगोलीय पिंडों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) का गुरुत्वाकर्षण बल और एक छोटे उपग्रह पर लगने वाला सेंट्रीफ्यूगल बल (centrifugal force) संतुलन में होते हैं। इस संतुलन की वजह से अंतरिक्ष यान या उपग्रह वहाँ स्थिर रह सकते हैं

L1 and L2 Points in Space

ऐसे कुल 5 Lagrange Points होते हैं: L1, L2, L3, L4, L5। आज हम खासकर L1 और L2 बिंदु के बारे में जानेंगे।

L1 बिंदु (Lagrange Point 1)

  • स्थिति: पृथ्वी और सूर्य के बीच।

  • पृथ्वी से दूरी: लगभग 15 लाख किलोमीटर सूर्य की दिशा में।

  • महत्व: यह बिंदु सूर्य पर लगातार नजर रखने के लिए आदर्श है।

उदाहरण:

  • SOHO (Solar and Heliospheric Observatory):
    यह यान L1 बिंदु पर स्थित है और लगातार सूर्य की गतिविधियों जैसे सौर तूफानों (solar flares) की निगरानी करता है।

  • Aditya L1 (भारत का मिशन):
    इसरो द्वारा भेजा गया भारत का पहला सौर मिशन जो L1 बिंदु पर सूर्य का अध्ययन करेगा।

L2 बिंदु (Lagrange Point 2)

  • स्थिति: पृथ्वी से विपरीत दिशा में, सूर्य के दूसरी ओर।

  • पृथ्वी से दूरी: लगभग 15 लाख किलोमीटर, लेकिन सूर्य की उलटी दिशा में।

  • महत्व: यहाँ से ब्रह्मांड का अवलोकन करना बहुत आसान होता है क्योंकि यह बिंदु अंधकारमय और शांत होता है।

उदाहरण:

  • James Webb Space Telescope (JWST):
    यह NASA का सबसे आधुनिक दूरबीन है, जिसे 2021 में लॉन्च किया गया था और L2 बिंदु पर स्थापित किया गया।
    यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति, आकाशगंगाओं और ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझने में मदद कर रहा है।

क्यों महत्वपूर्ण हैं L1 और L2?

विशेषताL1 बिंदुL2 बिंदु
मुख्य उद्देश्यसूर्य का अध्ययनब्रह्मांड का गहरा अवलोकन
स्थायित्वअर्ध-स्थिरअर्ध-स्थिर
प्रसिद्ध मिशनSOHO, Aditya-L1JWST (James Webb), Herschel, Planck

L1 और L2 जैसे Lagrange बिंदु विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद उपयोगी हैं। ये न केवल उपग्रहों को स्थिर स्थिति में बनाए रखते हैं, बल्कि हमें सूर्य और ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने का मौका भी देते हैं। भविष्य में ऐसे और भी मिशन इन बिंदुओं पर भेजे जाएंगे जो अंतरिक्ष विज्ञान में क्रांति ला सकते हैं।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope - JWST)

परिचय:

  • लॉन्च तिथि: 25 दिसंबर 2021

  • स्थिति: पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर, L2 बिंदु पर

  • मुख्य कार्य: ब्रह्मांड की शुरुआत, आकाशगंगाओं की उत्पत्ति, और एक्सोप्लैनेट (दूसरे ग्रह) का अध्ययन करना।

  • दृश्य सीमा: मुख्यतः इंफ्रारेड (अवरक्त) प्रकाश में कार्य करता है।

विशेषताएं:

  • दर्पण का आकार: 6.5 मीटर (Hubble से 3 गुना बड़ा)

  • इंफ्रारेड देखने की शक्ति: यह ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन रोशनी को भी पकड़ सकता है (13.5 अरब वर्ष पुरानी)।

  • सूर्य और पृथ्वी की गर्मी से बचाव के लिए 5-परतों वाली सनशील्ड।

उदाहरण:

  • WASP-39b ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड की खोज:
    JWST ने पहली बार किसी एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल में CO₂ की पुष्टि की।

  • प्राचीन आकाशगंगाओं की खोज:
    JWST ने उन आकाशगंगाओं को देखा है जो बिग बैंग के 300 मिलियन साल बाद बनी थीं – ये हमारी सोच से भी पहले अस्तित्व में आ गई थीं।

हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope - HST)

परिचय:

  • लॉन्च तिथि: 24 अप्रैल 1990

  • स्थिति: Low Earth Orbit (पृथ्वी से लगभग 547 किमी ऊपर)

  • मुख्य कार्य: ब्रह्मांड की स्पष्ट दृश्य छवियाँ लेना, तारों, नेब्युला, आकाशगंगाओं का अध्ययन करना।

  • दृश्य सीमा: यूवी (अल्ट्रावायलेट), दृश्य प्रकाश और थोड़ा इंफ्रारेड

विशेषताएं:

  • दर्पण का आकार: 2.4 मीटर

  • यह हर 95 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है।

  • इसमें वैज्ञानिकों ने 5 बार जाकर मरम्मत और सुधार भी किए हैं (सर्विसिंग मिशन)।

उदाहरण:

  • पिलर्स ऑफ क्रिएशन (Pillars of Creation):
    हबल की यह तस्वीर सबसे प्रसिद्ध खगोलीय छवियों में से एक है। यह एक गैस और धूल का क्षेत्र है जहाँ तारे बनते हैं।

  • एक्सपैंशन ऑफ यूनिवर्स:
    हबल ने यह मापा कि ब्रह्मांड कितनी तेजी से फैल रहा है, जिससे डार्क एनर्जी का सिद्धांत सामने आया।

तुलना सारणी (JWST vs Hubble)

विशेषताहबल टेलीस्कोपजेम्स वेब टेलीस्कोप
लॉन्च वर्ष19902021
स्थितिपृथ्वी के पास (Low Earth Orbit)पृथ्वी से दूर, L2 बिंदु पर
दर्पण का आकार2.4 मीटर6.5 मीटर
मुख्य प्रकाश सीमादृश्य + यूवी + थोड़ा इंफ्रारेडपूरी तरह इंफ्रारेड (Infrared)
प्रमुख मिशनस्टार, गैलेक्सी, नेब्युला अध्ययनप्रारंभिक ब्रह्मांड, एक्सोप्लैनेट, स्टार निर्माण
ठंडा रखने का तरीकाकोई विशेष व्यवस्था नहींविशाल सनशील्ड के जरिए -230°C तापमान तक

  • हबल ने हमें ब्रह्मांड की खूबसूरती दिखाई और ब्रह्मांड विज्ञान की नींव रखी।

  • जेम्स वेब इस काम को और गहराई में ले जा रहा है – अंधेरे और प्रारंभिक ब्रह्मांड तक पहुँच कर।

  • दोनों ही मानवता की वैज्ञानिक समझ को विस्तार देने में मील के पत्थर हैं।

क्या होते हैं Lagrange Points?

जब दो बड़े खगोलीय पिंड (जैसे सूर्य और पृथ्वी) एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं, तो उनके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ऐसे 5 खास बिंदु बनते हैं जहाँ एक छोटा पिंड (जैसे उपग्रह) कम ईंधन के साथ स्थिर रह सकता है।

इन बिंदुओं को कहते हैं:

  • L1, L2, L3, L4, L5

(L1 के बारे में हमने पहले बात की थी। अब बाकी को समझते हैं।)


L2 बिंदु (Lagrange Point 2)

स्थान:

पृथ्वी से सूर्य की विपरीत दिशा में, पृथ्वी के पीछे लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर

उपयोग:

  • सूर्य और पृथ्वी दोनों की रोशनी से दूर होने के कारण, यह बिंदु अंधेरा और शांत होता है – जिससे यह गहरी अंतरिक्ष दृष्टि के लिए आदर्श है।

उदाहरण:

  • James Webb Space Telescope (JWST) यहीं स्थित है।

  • ESA के Herschel और Planck स्पेस टेलीस्कोप भी यहीं तैनात थे।


L3 बिंदु (Lagrange Point 3)

स्थान:

सूर्य की कक्षा में पृथ्वी के बिलकुल दूसरी ओर, लगभग 180° दूर, सूर्य के पीछे।

विशेषता:

  • पृथ्वी से सीधा संपर्क संभव नहीं है क्योंकि सूर्य बीच में होता है।

  • यह बिंदु काफी अस्थिर होता है, इसलिए यहां कोई सक्रिय मिशन नहीं होता।

कल्पनाओं में:

  • कुछ साइंस फिक्शन कहानियों में माना गया कि वहां "दूसरी पृथ्वी" हो सकती है जो हमें दिखाई नहीं देती!


L4 बिंदु (Lagrange Point 4)

स्थान:

पृथ्वी की कक्षा में, सूर्य और पृथ्वी के बीच 60° कोण पर आगे की ओर

विशेषता:

  • यह बिंदु बहुत स्थिर होता है।

  • यहाँ वस्तुएँ लंबे समय तक स्थिर रह सकती हैं

उदाहरण:

  • ज्यूपिटर (बृहस्पति) के L4 और L5 बिंदुओं पर पाए जाते हैं –
    "Trojan Asteroids" (जो ग्रह के आगे-पीछे चलते हैं)।


L5 बिंदु (Lagrange Point 5)

स्थान:

पृथ्वी की कक्षा में, सूर्य और पृथ्वी के बीच 60° कोण पर पीछे की ओर

विशेषता:

  • यह भी एक स्थिर बिंदु है।

  • L4 की तरह, यहां भी वस्तुएँ अपने स्थान पर बनी रह सकती हैं।

सारांश तालिका:

बिंदुस्थितिस्थायित्वउपयोग / मिशन
L2पृथ्वी के पीछे, सूर्य से उलटी दिशा मेंअर्ध-स्थिरJWST, Herschel, Planck
L3सूर्य के दूसरी ओर, पृथ्वी से 180° दूरअस्थिरकोई सक्रिय मिशन नहीं (फिक्शन में लोकप्रिय)
L4पृथ्वी की कक्षा में, 60° आगेबहुत स्थिरबृहस्पति के ट्रोजन क्षुद्रग्रह, संभावित मिशन
L5पृथ्वी की कक्षा में, 60° पीछेबहुत स्थिरबृहस्पति के ट्रोजन क्षुद्रग्रह, संभावित मिशन

L2: गहरी अंतरिक्ष निगरानी के लिए श्रेष्ठ

  • L3: वैज्ञानिक रूप से कम उपयोगी, पर रोचक

  • L4 और L5: स्थायित्व में सबसे अच्छे, भविष्य के मिशनों के लिए उपयुक्त

FAQs


प्रश्न 1: लाग्रांज बिंदु (Lagrange Points) क्या होते हैं?

उत्तर:
Lagrange Points अंतरिक्ष में वे बिंदु होते हैं जहाँ दो बड़े खगोलीय पिंडों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल और एक तीसरे छोटे पिंड (जैसे उपग्रह) की गति एक-दूसरे को संतुलित करती है। इन बिंदुओं पर उपग्रह कम ईंधन में स्थिर रह सकता है।


प्रश्न 2: L2 बिंदु कहाँ स्थित है और इसका उपयोग क्या है?

उत्तर:
L2 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य की विपरीत दिशा में स्थित होता है। यह गहरी अंतरिक्ष की निगरानी के लिए उपयुक्त है क्योंकि यह अंधकारमय और शांत होता है।
उदाहरण: James Webb Space Telescope (JWST) यहीं स्थित है।


प्रश्न 3: L3 बिंदु क्या है और इसका क्या उपयोग होता है?

उत्तर:
L3 बिंदु सूर्य की कक्षा में पृथ्वी के एकदम विपरीत तरफ होता है (180 डिग्री दूर)। यह अस्थिर होता है और वैज्ञानिक मिशनों में इसका उपयोग नहीं होता।
नोट: यह फिक्शन में "दूसरी पृथ्वी" जैसी कल्पनाओं से जुड़ा रहा है।


प्रश्न 4: L4 और L5 बिंदु कहाँ हैं?

उत्तर:
L4 और L5 बिंदु पृथ्वी की कक्षा में सूर्य के साथ 60° कोण पर होते हैं – L4 आगे और L5 पीछे की ओर। ये दोनों बिंदु अत्यंत स्थिर होते हैं और ग्रहों के साथ "Trojan Objects" जैसे क्षुद्रग्रह पाए जाते हैं।


प्रश्न 5: क्या L4 और L5 बिंदु भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों के लिए उपयोगी हैं?

उत्तर:
हाँ, L4 और L5 बिंदु बहुत स्थिर होते हैं और भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन, वेधशालाएँ या यहां तक कि मानव मिशनों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।


प्रश्न 6: क्या केवल पृथ्वी के लिए ही Lagrange Points होते हैं?

उत्तर:
नहीं, हर दो बड़े खगोलीय पिंडों (जैसे सूर्य-बृहस्पति, पृथ्वी-चंद्रमा) के बीच Lagrange Points होते हैं।
उदाहरण: बृहस्पति के L4 और L5 बिंदुओं पर हजारों Trojan Asteroids पाए गए हैं।


प्रश्न 7: क्या Lagrange Points पर उपग्रह स्थायी रूप से टिक सकते हैं?

उत्तर:
L4 और L5 बिंदु स्थायी स्थायित्व वाले होते हैं। L1, L2, और L3 अर्ध-स्थिर होते हैं, और वहाँ उपग्रहों को थोड़ी-बहुत कक्षा सुधार की आवश्यकता होती है।


प्रश्न 8: भारत का कौन-सा मिशन Lagrange Point पर गया है?

उत्तर:
Aditya L1 – भारत का पहला सौर मिशन है जो L1 बिंदु पर भेजा गया है। यह सूर्य की गतिविधियों का अध्ययन करेगा।


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