हमारी पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर एक अण्डाकार (Elliptical) कक्षा में घूमती है। इसी प्रकार, चंद्रमा भी पृथ्वी की परिक्रमा करता है, और उसकी कक्षा भी पूर्ण
पेरिहीलियन और एपीहीलियन तथा पेरिजी और एपोजी: पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षीय दूरियों का विज्ञान
हमारी पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर एक अण्डाकार (Elliptical) कक्षा में घूमती है। इसी प्रकार, चंद्रमा भी पृथ्वी की परिक्रमा करता है, और उसकी कक्षा भी पूर्ण रूप से गोल नहीं
बल्कि अण्डाकार होती है। इसी कक्षीय गति के दौरान पृथ्वी और चंद्रमा, अपने-अपने केंद्रों (सूर्य और पृथ्वी) के
निकटतम और दूरस्थ बिंदुओं से गुजरते हैं। इन बिंदुओं को पेरिहीलियन (Perihelion), एपीहीलियन (Aphelion), पेरिजी (Perigee) और एपोजी (Apogee) कहा जाता है।
1. पेरिहीलियन (Perihelion) क्या है?
पेरिहीलियन वह
बिंदु होता है जब पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है।
- यह घटना हर साल जनवरी के पहले सप्ताह में होती है।
- इस समय पृथ्वी और सूर्य के बीच की
दूरी लगभग 14.7 करोड़ किलोमीटर होती है।
- इस स्थिति में सूर्य थोड़ा बड़ा और
चमकीला दिखता है।
2. एपीहीलियन (Aphelion) क्या है?
एपीहीलियन वह
बिंदु है जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है।
- यह घटना हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में होती है।
- इस समय पृथ्वी और सूर्य के बीच की
दूरी लगभग 15.2 करोड़ किलोमीटर होती है।
- सूर्य थोड़ा छोटा और कम तेज़ दिखाई
देता है।
3. पेरिहीलियन और एपीहीलियन का मौसम से संबंध
आप सोच सकते हैं
कि जब पृथ्वी सूर्य के निकट होती है, तो गर्मी क्यों नहीं होती?
- इसका कारण है — मौसम पृथ्वी के झुकाव (axial tilt) पर निर्भर करता है, न कि सूर्य से दूरी पर।
- इसलिए जब भारत में सर्दी होती है
(जनवरी), उस समय पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट
होती है (पेरिहीलियन)।
- और जब गर्मी होती है (जुलाई), पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है
(एपीहीलियन)।
4. पेरिजी (Perigee) क्या है?
पेरिजी वह बिंदु
होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है।
- इस समय चंद्रमा का आकार बड़ा दिखाई
देता है, जिसे "सुपरमून (Supermoon)" कहा जाता है।
- यह दूरी लगभग 3,63,300 किलोमीटर होती है।
5. एपोजी (Apogee) क्या है?
एपोजी वह बिंदु
होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है।
- इस समय चंद्रमा छोटा दिखाई देता है, जिसे "माइक्रोमून (Micromoon)" कहा जाता है।
- यह दूरी लगभग 4,05,500 किलोमीटर होती है।
6. सारणी: चारों घटनाओं की तुलना
घटना |
वस्तु |
केंद्र से स्थिति |
औसत दूरी |
पेरिहीलियन |
पृथ्वी |
सूर्य के सबसे
पास |
~14.7 करोड़ किमी |
एपीहीलियन |
पृथ्वी |
सूर्य से सबसे
दूर |
~15.2 करोड़ किमी |
पेरिजी |
चंद्रमा |
पृथ्वी के सबसे
पास |
~3,63,300 किमी |
एपोजी |
चंद्रमा |
पृथ्वी से सबसे
दूर |
~4,05,500 किमी |
7. इन घटनाओं का वैज्ञानिक महत्व
- पृथ्वी के तापमान, ज्वार-भाटे, और चंद्रग्रहण-सूर्यग्रहण की तीव्रता पर इन घटनाओं का प्रभाव
होता है।
- खगोलशास्त्री (Astronomers) इन बिंदुओं को अध्ययन करके सौर प्रणाली के संतुलन को समझते हैं।
पेरिहीलियन और
एपीहीलियन सूर्य और पृथ्वी के संबंध को दर्शाते हैं, जबकि पेरिजी और एपोजी चंद्रमा और पृथ्वी के बीच दूरी को
परिभाषित करते हैं। ये घटनाएं न केवल खगोलशास्त्र के लिए बल्कि आम जीवन और
पर्यावरणीय प्रभावों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इनके पीछे का विज्ञान हमें यह
समझने में मदद करता है कि पृथ्वी और चंद्रमा की गति कैसे हमारे मौसम, ज्वार-भाटे और आकाशीय दृश्यों को
प्रभावित करती है।
FAQ
पेरिहीलियन (Perihelion) क्या है?
पेरिहीलियन वह स्थिति होती है जब पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है, और यह हर साल जनवरी के पहले सप्ताह में होती है।
एपीहीलियन (Aphelion) क्या है?
एपीहीलियन वह स्थिति होती है जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है, और यह हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में होती है।
पेरिहीलियन और एपीहीलियन के समय सूर्य बड़ा या छोटा क्यों दिखता है?
जब पृथ्वी सूर्य के पास (पेरिहीलियन) होती है, तो सूर्य बड़ा और तेज़ दिखता है; जब दूर (एपीहीलियन) होती है, तो सूर्य थोड़ा छोटा लगता है।
क्या पेरिहीलियन के समय गर्मी होती है?
नहीं। मौसम सूर्य से दूरी के कारण नहीं, बल्कि पृथ्वी के झुकाव (axial tilt) के कारण होते हैं। इसलिए पेरिहीलियन के समय भारत में सर्दी होती है।
पेरिजी (Perigee) क्या होता है?
पेरिजी वह बिंदु है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस समय चंद्रमा बड़ा दिखाई देता है — जिसे सुपरमून कहा जाता है।
एपोजी (Apogee) क्या होता है?
एपोजी वह स्थिति है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है। इस समय चंद्रमा छोटा दिखाई देता है — जिसे माइक्रोमून कहा जाता है।
सुपरमून और माइक्रोमून में अंतर क्या है?
सुपरमून तब होता है जब पूर्णिमा के समय चंद्रमा पेरिजी पर होता है — यानी बड़ा और चमकीला दिखता है। माइक्रोमून तब होता है जब पूर्णिमा एपोजी पर हो — यानी छोटा और थोड़ा फीका दिखता है।
इन घटनाओं का क्या वैज्ञानिक महत्व है?
ये घटनाएं ज्वार-भाटा, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, और पृथ्वी की जलवायु व्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही, ये खगोलशास्त्रीय गणनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
क्या इन घटनाओं को नग्न आँखों से देखा जा सकता है?
हाँ, सूर्य और चंद्रमा के आकार और चमक में थोड़े अंतर देखे जा सकते हैं, खासकर सुपरमून या ग्रहण जैसी घटनाओं के दौरान।
क्या इन घटनाओं का मानव जीवन पर कोई असर पड़ता है?
सीधा प्रभाव बहुत सूक्ष्म होता है, लेकिन समुद्री ज्वार, मौसम के विश्लेषण और खगोलशास्त्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
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