भारत के पंजाब राज्य में स्थित गोल्डन टेम्पल या हरमंदिर साहिब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह आस्था, सेवा और समानता का जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर सि
जानिए अमृतसर का गोल्डन टेम्पल और लंगर परंपरा
भारत के पंजाब राज्य में स्थित गोल्डन टेम्पल या हरमंदिर साहिब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह आस्था, सेवा और समानता का जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है, लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यह हर धर्म, जाति और वर्ग के लोगों के लिए समान रूप से खुला है।
गोल्डन टेम्पल की चमचमाती स्वर्णीय संरचना, शांत अमृत सरोवर और निरंतर गूंजती गुरबाणी इसे एक अलौकिक अनुभव में बदल देती है। इसके साथ ही जो परंपरा इसे और भी खास बनाती है, वह है — "लंगर" की सेवा।
लंगर परंपरा, जहाँ हर दिन हजारों लोगों को नि:शुल्क भोजन कराया जाता है, न केवल भूख मिटाती है, बल्कि मानवता और समानता का पाठ पढ़ाती है। राजा हो या रंक, सभी एक साथ पंगत में बैठते हैं और सेवा भाव से परोसा गया भोजन ग्रहण करते हैं।
गोल्डन टेम्पल और लंगर, दोनों मिलकर सिख दर्शन की आत्मा – "सेवा, भक्ति और एकता" को दर्शाते हैं। यह स्थान न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि मानवता की शिक्षा देने वाला एक जीवंत विद्यालय है।
अमृतसर का गोल्डन टेम्पल और लंगर परंपरा
रोचक तथ्य: गोल्डन टेम्पल (हरमंदिर साहिब)
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हर धर्म के लोगों के लिए खुला
गोल्डन टेम्पल सभी धर्मों, जातियों और देशों के लोगों के लिए खुला है। यह सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है। -
स्वर्ण से ढका हुआ
गोल्डन टेम्पल के ऊपरी भाग को लगभग 750 किलोग्राम सोने से सजाया गया है। -
पवित्र सरोवर – अमृत सरोवर
यह मंदिर एक सरोवर के बीच स्थित है, जिसे "अमृत सरोवर" कहा जाता है। इसी के नाम पर "अमृतसर" शहर का नाम पड़ा। -
गुरु ग्रंथ साहिब की 24x7 कीर्तन सेवा
गुरबाणी का कीर्तन पूरे दिन मंदिर में होता रहता है, जिससे वातावरण अत्यंत आध्यात्मिक बनता है। -
दुनिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला धार्मिक स्थल
हर रोज़ एक लाख से अधिक श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
लंगर परंपरा के अद्भुत तथ्य
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दुनिया का सबसे बड़ा फ्री लंगर
हर दिन लगभग 50,000 से 1,00,000 लोगों को भोजन कराया जाता है — वह भी बिना किसी भेदभाव के। -
सेवा भाव ही आत्मा है
खाना बनाने, परोसने और सफाई का सारा काम स्वयंसेवकों द्वारा नि:स्वार्थ सेवा के रूप में किया जाता है। -
एक समानता का प्रतीक – पंगत
राजा हो या रंक, सभी एक साथ ज़मीन पर बैठकर भोजन करते हैं — यही है पंगत, जो समानता का संदेश देती है। -
100% शाकाहारी भोजन
लंगर में परोसा जाने वाला भोजन पूरी तरह शुद्ध और शाकाहारी होता है। -
खुला 24 घंटे
लंगर सेवा गोल्डन टेम्पल में 24x7 चलती है, भूखा कोई नहीं जाता।
FAQ
गोल्डन टेम्पल को किसने बनवाया?
यह मंदिर पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव जी द्वारा 1581 में बनवाया गया था।
गोल्डन टेम्पल का असली नाम क्या है?
इसका असली नाम "हरमंदिर साहिब" है, जिसका अर्थ है "ईश्वर का मंदिर"।
यह मंदिर किस शैली में बना है?
यह सिख और मुग़ल वास्तुकला का सुंदर संगम है।
लंगर की शुरुआत किसने की?
लंगर परंपरा की शुरुआत गुरु नानक देव जी ने की थी, और इसे गुरु अंगद देव जी और गुरु अमरदास जी ने आगे बढ़ाया।
लंगर के लिए सामग्री कहाँ से आती है?
यह सब दान, सेवाभाव और स्वयंसेवकों की मदद से उपलब्ध होता है।
क्या गोल्डन टेम्पल में जाने के लिए सिर ढकना जरूरी है?
हाँ, मंदिर में प्रवेश से पहले सिर ढकना अनिवार्य है — यह सम्मान का प्रतीक है।
क्या यहाँ रात्रि विश्राम की सुविधा है?
जी हाँ, ज़रूरतमंदों और पर्यटकों के लिए नि:शुल्क सराय (धर्मशाला) की व्यवस्था है।
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