काल भैरव अष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचा गया था। यह स्तोत्र भगवान शिव के उग्र रूप भगवान काल भैरव को समर्पित है।
जानिए काल भैरव अष्टकम् के बारे में और क्या है इसके फायदे
काल भैरव अष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचा गया था। यह स्तोत्र भगवान शिव के उग्र रूप भगवान काल भैरव को समर्पित है। इसमें कुल आठ श्लोक (अष्टक) होते हैं, hence इसे "अष्टकम्" कहा जाता है।
भगवान काल भैरव को समय (काल), न्याय, और रक्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे काशी नगरी के रक्षक माने जाते हैं और शिव के गणों के अधिपति भी हैं।
काल भैरव अष्टकम् का पहला श्लोक (उदाहरण सहित)
हिंदी अर्थ:
मैं काशीपुरी के स्वामी काल भैरव की वंदना करता हूँ, जिनके पावन चरणों की पूजा देवता करते हैं, जिनका यज्ञोपवीत सर्पों से बना है, जो चंद्रशेखर हैं, करुणा के सागर हैं, नारद आदि महान योगियों द्वारा पूजित हैं, और दिगंबर (वस्त्ररहित) हैं।
काल भैरव अष्टकम् के लाभ
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भय और शत्रुओं से रक्षा करता है।
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न्याय की प्राप्ति में सहायता करता है।
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कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष और अन्य ग्रहदोषों से राहत मिलती है।
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अकाल मृत्यु, दुर्घटना और अपमृत्यु से रक्षा करता है।
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नकारात्मक ऊर्जा, तंत्र-मंत्र और भूत-प्रेत बाधा से बचाव करता है।
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साधना, तपस्या, और ध्यान में मानसिक बल देता है।
पाठ का उचित समय
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प्रत्येक अष्टमी तिथि, विशेषकर कालाष्टमी और भैरव अष्टमी पर।
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शनिवार को पढ़ना भी अति शुभ माना जाता है।
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सुबह या शाम, स्नान करके शुद्ध होकर पाठ करें।
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शिवलिंग या काल भैरव की मूर्ति के सामने दीप और अगरबत्ती जलाकर पाठ करें।
कैसे करें पाठ?
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शांति और एकाग्रता के साथ बैठें।
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प्रत्येक श्लोक को ध्यान से उच्चारण करें।
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पाठ के बाद भगवान काल भैरव से रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
काल भैरव अष्टकम् केवल एक स्तोत्र नहीं है, यह एक आध्यात्मिक कवच है जो व्यक्ति को न्याय, समय की अनुकूलता, और आत्मबल प्रदान करता है। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नियमित श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करता है, उसे भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
FAQ
प्रश्न: काल भैरव अष्टकम् क्या है?
उत्तर: यह एक संस्कृत स्तोत्र है जिसे आदि शंकराचार्य ने रचा है, और यह भगवान काल भैरव की स्तुति करता है। इसमें कुल 8 श्लोक होते हैं।
प्रश्न: भगवान काल भैरव कौन हैं?
उत्तर: भगवान काल भैरव, भगवान शिव का उग्र और रक्षक रूप हैं। वे काल (समय) और न्याय के अधिपति माने जाते हैं।
प्रश्न: काल भैरव अष्टकम् का पाठ कब करें?
उत्तर: इसे विशेष रूप से कालाष्टमी, भैरव अष्टमी, शनिवार, या प्रतिदिन सुबह/शाम पढ़ा जा सकता है।
प्रश्न: क्या काल भैरव अष्टकम् पढ़ने से कोई विशेष लाभ मिलता है?
उत्तर: हाँ, इससे भय, शत्रु, ग्रहदोष, कालसर्प दोष, तांत्रिक बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
प्रश्न: क्या यह स्तोत्र सिर्फ पंडित ही पढ़ सकते हैं?
उत्तर: नहीं, कोई भी श्रद्धालु इसे पढ़ सकता है। शुद्ध मन और उच्चारण के साथ पाठ करना चाहिए।
प्रश्न: क्या स्त्रियाँ भी इसका पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, स्त्रियाँ भी श्रद्धापूर्वक इसका पाठ कर सकती हैं। केवल मासिक धर्म के समय पाठ न करने की सलाह दी जाती है।
प्रश्न: क्या काल भैरव अष्टकम् का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
उत्तर: अगर संभव हो तो शिव मंदिर या काल भैरव मंदिर में करें। अन्यथा घर में शुद्ध स्थान पर भी पाठ किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या काल भैरव अष्टकम् का पाठ करने से डर लगता है?
उत्तर: नहीं, यह स्तोत्र डराने वाला नहीं बल्कि डर से बचाने वाला है। यह सुरक्षा और साहस प्रदान करता है।
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