जानिए मंत्रों की शक्ति: पंचाक्षरी, नवाक्षरी और चतुर्विंशत्याक्षरी मंत्रो का महत्व | Know the power of mantras: Importance of Panchakshari, Navakshari and Chaturvinshatyakshari mantras in hindi

हिंदू धर्म में मंत्रों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक मंत्र की ध्वनि, उच्चारण और अक्षरों की संख्या के पीछे एक दिव्य ऊर्जा छिपी होती है। इस ले

जानिए मंत्रों की शक्ति: पंचाक्षरी, नवाक्षरी और चतुर्विंशत्याक्षरी मंत्रो का महत्व 

हिंदू धर्म में मंत्रों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक मंत्र की ध्वनि, उच्चारण और अक्षरों की संख्या के पीछे एक दिव्य ऊर्जा छिपी होती है। इस लेख में हम तीन अत्यंत प्रभावशाली मंत्रों – पंचाक्षरी, नवाक्षरी, और चतुर्विंशत्याक्षरी (२४ अक्षरी) – का परिचय, अर्थ, उद्देश्य और प्रयोग उदाहरण सहित जानेंगे।

Mantras Power

१. पंचाक्षरी मंत्र (पाँच अक्षरों वाला मंत्र)

मंत्र:
ॐ नमः शिवाय

अर्थ:
यह पंचाक्षरी (पाँच अक्षर) वाला मंत्र भगवान शिव को समर्पित है।
अक्षर: न – म – शि – वा – य

देवता:
भगवान शिव

उद्देश्य व लाभ:

  • आत्मशुद्धि और आत्मबोध के लिए प्रमुख।

  • पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करता है।

  • ध्यान, जप और योग साधना में प्रयुक्त होता है।

उदाहरण:
एक साधक प्रतिदिन सुबह 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जप करता है। कुछ ही महीनों में उसमें शांति, क्रोध नियंत्रण और आत्मविश्वास में वृद्धि देखी जाती है। धीरे-धीरे उसे शिव तत्त्व की अनुभूति होने लगती है।

२. नवाक्षरी मंत्र (नौ अक्षरों वाला मंत्र)

मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

अर्थ:
यह नौ अक्षरों (नवाक्षर) से बना शक्तिशाली शक्ति मंत्र है जो देवी चामुंडा को समर्पित है।
अक्षर: ऐं – ह्रीं – क्लीं – चा – मुं – डा – यै – वि – च्चे

देवता:
देवी दुर्गा / चामुंडा

उद्देश्य व लाभ:

  • नकारात्मक शक्तियों, काले जादू और भय से रक्षा करता है।

  • तांत्रिक साधनाओं में अत्यंत प्रभावशाली।

  • शक्ति, साहस और आत्मरक्षा के लिए श्रेष्ठ।

उदाहरण:
एक महिला जिसे बार-बार बुरे सपने और नकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता था, एक गुरु के मार्गदर्शन में नवाक्षरी मंत्र का प्रतिदिन जप करती है। एक माह के भीतर उसकी स्थिति में स्पष्ट सुधार दिखता है – नींद बेहतर होती है, डर कम होता है और आत्मबल में वृद्धि होती है।

३. चतुर्विंशत्याक्षरी मंत्र (२४ अक्षरों वाला मंत्र)

 मंत्र (गायत्री मंत्र):
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥

अर्थ:
यह २४ अक्षरों वाला मंत्र सूर्य देव (सविता) को समर्पित है। यह मंत्र व्यक्ति की बुद्धि, चेतना और आत्मिक जागरण के लिए प्रयोग होता है।

देवता:
सविता देवता (सूर्य का वैदिक रूप)

उद्देश्य व लाभ:

  • ज्ञान, विवेक, और आध्यात्मिक प्रकाश के लिए।

  • छात्र, साधक, और गुरुजन इसे नित्य संध्या में जपते हैं।

  • यह ब्रह्मज्ञान प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

उदाहरण:
एक विद्यार्थी जो पढ़ाई में कमजोर था, अपने गुरु के कहने पर प्रतिदिन सूर्योदय के समय 21 बार गायत्री मंत्र जप करता है। कुछ महीनों में उसकी एकाग्रता बढ़ती है, परीक्षा परिणाम सुधरते हैं और उसमें आत्मविश्वास आता है।

सारांश तालिका

मंत्र का नाम

मंत्र (संक्षिप्त रूप में)

अक्षर संख्या

संबंधित देवता

मुख्य लाभ

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नमः शिवाय

5

भगवान शिव

आत्मशुद्धि, पंचतत्त्व से संतुलन

नवाक्षरी मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

9

देवी चामुंडा

रक्षा, तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति

२४ अक्षरी मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः... (गायत्री मंत्र)

24

सविता (सूर्य)

बुद्धि, ध्यान, आत्मज्ञान

इन तीनों मंत्रों का प्रयोग साधक की आवश्यकता, स्थिति और मार्गदर्शक गुरु के अनुसार किया जाता है। यदि नियमित रूप से श्रद्धा, शुद्ध उच्चारण और मन से इन मंत्रों का जप किया जाए, तो यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि मानसिक व भौतिक संतुलन भी प्रदान करते हैं।

FAQ

प्रश्न: पंचाक्षरी मंत्र क्या है और इसे क्यों जपते हैं?
उत्तर: पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” भगवान शिव को समर्पित है। यह आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति हेतु जप किया जाता है।

प्रश्न: नवाक्षरी मंत्र का उपयोग किसलिए किया जाता है?
उत्तर: नवाक्षरी मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” देवी चामुंडा को समर्पित है और इसका उपयोग नकारात्मक ऊर्जा, काले जादू और भय से रक्षा हेतु किया जाता है।

प्रश्न: 24 अक्षरी मंत्र कौन-सा है?
उत्तर: 24 अक्षरी मंत्र गायत्री मंत्र है – “ॐ भूर्भुवः स्वः...धियो यो नः प्रचोदयात्”। यह सूर्य देव को समर्पित है और बुद्धि, ध्यान और आत्मज्ञान के लिए उपयोग होता है।

प्रश्न: क्या इन मंत्रों का जप कोई भी कर सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन उचित उच्चारण, श्रद्धा और नियमपूर्वक करना आवश्यक है। नवाक्षरी मंत्र के लिए गुरु से दीक्षा लेना अधिक लाभकारी माना जाता है।

प्रश्न: मंत्रों का जप कब करना चाहिए?
उत्तर:

  • पंचाक्षरी मंत्र: प्रातः या संध्या समय, विशेषकर सोमवार को।

  • नवाक्षरी मंत्र: रात्रि अथवा नवरात्रि काल में, विशेषकर शक्तिपीठों में।

  • गायत्री मंत्र: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय संध्या वंदन में।

प्रश्न: क्या मंत्र जप के लिए माला का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, जप माला (रुद्राक्ष, चंद्रमुखी या तुलसी) का प्रयोग संख्या निर्धारण और एकाग्रता के लिए किया जाता है।

प्रश्न: क्या मंत्र जप से वास्तव में जीवन में परिवर्तन आता है?
उत्तर: हाँ, यदि मंत्रों का जप श्रद्धा, नियमितता और सही विधि से किया जाए, तो मानसिक शांति, आत्मिक बल और सकारात्मक परिवर्तन अवश्य आते हैं।


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