आज के दौर में जब सौर ऊर्जा (Solar Power) का उपयोग बढ़ रहा है, तब नेट मीटर (Net Meter) एक अहम भूमिका निभा रहा है। यह मीटर विशेष रूप से उन घरों या संस्थ
जानिए नेट मीटर क्या है? इसके इन्स्टॉलेशन के मानदंड, कार्यप्रणाली और उपयोग
आज के दौर में जब सौर ऊर्जा (Solar Power) का उपयोग बढ़ रहा है, तब नेट मीटर (Net Meter) एक अहम भूमिका निभा रहा है। यह मीटर विशेष रूप से उन घरों या संस्थानों में लगाया जाता है, जहाँ सोलर पैनल सिस्टम से बिजली उत्पन्न की जाती है और उसे ग्रिड से जोड़ा जाता है। नेट मीटर सौर ऊर्जा उपभोक्ता और बिजली विभाग के बीच ऊर्जा लेन-देन को रिकॉर्ड करता है।
नेट मीटर क्या होता है?
नेट मीटर एक ऐसा डिजिटल मीटर होता है जो आपके द्वारा बिजली ग्रिड से ली गई और ग्रिड को वापस दी गई (exported) बिजली की मात्रा को मापता है।
इसे "Net Energy Metering" भी कहा जाता है।
नेट मीटर कैसे काम करता है?
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सौर ऊर्जा उत्पन्न करें:
सोलर पैनल दिन में बिजली बनाते हैं। -
उपयोग पहले घर में:
पहले यह बिजली आपके घरेलू उपकरणों में उपयोग होती है। -
अतिरिक्त बिजली ग्रिड को:
अगर आपकी खपत से अधिक बिजली बन रही है, तो वह बिजली विभाग के ग्रिड में भेज दी जाती है। -
कम उत्पादन के समय:
यदि रात में या बादल वाले दिन उत्पादन कम होता है, तो आप ग्रिड से बिजली लेते हैं। -
नेट मीटर का रोल:
नेट मीटर यह रिकॉर्ड करता है कि आपने कितनी यूनिट ली (Import) और कितनी यूनिट दी (Export)।
इसके आधार पर आपका बिल बनाया जाता है – केवल "नेट यूनिट" के अनुसार।
नेट मीटर के लाभ:
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अतिरिक्त बिजली बेचकर बिल कम या शून्य किया जा सकता है।
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सौर ऊर्जा से पर्यावरण संरक्षण।
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बिजली विभाग पर लोड कम होता है।
नेट मीटर स्थापना के लिए मानदंड (Criteria):
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सोलर सिस्टम का होना अनिवार्य:
नेट मीटर तभी लगाया जाता है जब आपने ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पैनल सिस्टम लगाया हो। -
कम से कम सिस्टम क्षमता:
न्यूनतम 1 किलोवाट (kW) या उससे अधिक की सोलर क्षमता होनी चाहिए। -
बिजली विभाग से अनुमति:
आपको स्थानीय DISCOM (बिजली वितरण कंपनी) से नेट मीटर लगाने की अनुमति लेनी होती है। -
सिंगल या थ्री फेज कनेक्शन:
आपके बिजली कनेक्शन के अनुसार उपयुक्त नेट मीटर लगाया जाता है। -
बिजली बिल का अद्यतन खाता:
पिछले बिजली बिलों में कोई बकाया न हो।
उदाहरण:
माना कि रवि जी ने लखनऊ में अपने घर पर 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाया।
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एक महीने में उन्होंने ग्रिड से 100 यूनिट ली (Import)
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और 120 यूनिट ग्रिड को दी (Export)
तो उनका नेट यूनिट = 100 - 120 = -20 यूनिट
मतलब, उस महीने उनका कोई बिजली बिल नहीं बनेगा बल्कि 20 यूनिट अगले महीने के लिए क्रेडिट हो जाएगी।
नेट मीटरिंग एक स्मार्ट और पर्यावरण-अनुकूल समाधान है जो उपभोक्ताओं को आत्मनिर्भर बनाता है और बिजली बिलों को कम करता है। सही तरीके से स्थापना और अनुमतियों के साथ यह प्रणाली बेहद लाभकारी है।
FAQ
प्र.1: नेट मीटर क्या होता है?
नेट मीटर एक डिजिटल मीटर होता है जो यह रिकॉर्ड करता है कि आपने ग्रिड से कितनी बिजली ली (Import) और ग्रिड को कितनी बिजली वापस भेजी (Export)।
प्र.2: नेट मीटर किसके लिए लगाया जाता है?
नेट मीटर उन उपभोक्ताओं के लिए लगाया जाता है जिन्होंने अपने घर, दुकान या फैक्ट्री में सोलर पैनल सिस्टम लगाया हो।
प्र.3: नेट मीटर कैसे काम करता है?
यह मीटर दोनों दिशाओं में बिजली की गणना करता है —
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आपने ग्रिड से कितनी यूनिट ली
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आपने ग्रिड को कितनी यूनिट दी
अंत में "नेट यूनिट" के अनुसार बिजली बिल बनता है।
प्र.4: नेट मीटर लगाने के लिए क्या शर्तें हैं?
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सोलर पैनल सिस्टम होना चाहिए
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DISCOM (बिजली विभाग) से अनुमति लेनी होती है
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कम से कम 1 किलोवाट का सोलर सिस्टम जरूरी है
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बिजली बिल अद्यतन (No dues) होना चाहिए
प्र.5: क्या नेट मीटर से बिजली बिल कम होता है?
हाँ, यदि आप अधिक सौर बिजली उत्पन्न करते हैं और ग्रिड को वापस भेजते हैं, तो आपके बिजली बिल में छूट मिलती है या बिल शून्य हो सकता है।
प्र.6: नेट मीटर कितने प्रकार के होते हैं?
नेट मीटर आमतौर पर सिंगल फेज या थ्री फेज होते हैं, जो आपके कनेक्शन के प्रकार पर निर्भर करते हैं।
प्र.7: नेट मीटर के लिए आवेदन कैसे करें?
आप अपने बिजली विभाग की वेबसाइट या नजदीकी कार्यालय से नेट मीटर के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।
प्र.8: क्या नेट मीटरिंग सभी राज्यों में उपलब्ध है?
भारत के अधिकतर राज्यों में नेट मीटरिंग सुविधा उपलब्ध है, लेकिन हर राज्य की नीति थोड़ी भिन्न हो सकती है।
प्र.9: क्या अतिरिक्त बिजली बेचने पर भुगतान मिलता है?
कुछ राज्यों में एक्स्ट्रा यूनिट्स को अगले महीने के बिल में एडजस्ट किया जाता है, जबकि कुछ DISCOM कंपनियाँ प्रति यूनिट भुगतान भी करती हैं।
प्र.10: नेट मीटर इंस्टॉलेशन में कितना खर्च आता है?
कुछ राज्यों में यह फ्री है, जबकि अन्य राज्यों में ₹1000 से ₹3000 तक का चार्ज लग सकता है।
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