मुंबई हमेशा से समुद्री तट पर बसा एक प्रमुख व्यापारिक शहर रहा है। यहाँ का मछली व्यवसाय (मच्छीवाला बिज़नेस) सदियों पुराना है और इसे मुख्य रूप से कोली सम
जानिए मुंबई मच्छीवाला व्यवसाय : नाव से मछली बाजार तक की कहानी
मुंबई हमेशा से समुद्री तट पर बसा एक प्रमुख व्यापारिक शहर रहा है। यहाँ का मछली व्यवसाय (मच्छीवाला बिज़नेस) सदियों पुराना है और इसे मुख्य रूप से कोली समुदाय संभालता है। मछुआरे समुद्र से नाव द्वारा मछलियाँ पकड़कर सीधे मछली बाजारों तक पहुँचाते हैं। यह व्यवसाय न केवल मुंबई की खानपान संस्कृति का अहम हिस्सा है, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका का साधन भी है।
व्यवसाय की प्रक्रिया
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समुद्र यात्रा और मछली पकड़ना – मछुआरे रात या सुबह-सुबह अपनी नावों से समुद्र में जाते हैं और जाल, ट्रॉलिंग नेट आदि से मछलियाँ पकड़ते हैं।
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नाव से तट तक – पकड़ी गई मछलियाँ नावों में रखकर तट पर लायी जाती हैं। इसके लिए कोलीवाड़ा और फिशिंग जेट्टी (जैसे वर्सोवा, ससून डॉक्स, कोलीवाड़ा) प्रमुख केंद्र हैं।
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थोक बाजार तक आपूर्ति – तट से मछलियाँ ससून डॉक्स या देसी बाजारों में लाई जाती हैं जहाँ इनकी थोक नीलामी होती है।
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खुदरा बिक्री – यहाँ से मछलियाँ मच्छीवाले और महिलाएँ (जिन्हें कोलीन कहा जाता है) टोकरी या गाड़ी में भरकर लोकल बाजारों और कॉलोनियों तक बेचने के लिए जाती हैं।
कोविड से पहले की स्थिति
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रोज़ाना हजारों नावें समुद्र में जाती थीं।
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मुंबई और आसपास के बाजारों में टन-टन मछली की सप्लाई होती थी।
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ससून डॉक्स एशिया के सबसे बड़े फिश मार्केट्स में से एक था।
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मछली व्यापार से जुड़े लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी चलती थी।
कोविड का असर
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लॉकडाउन में नावों की आवाजाही और मछली बाजारों पर रोक लग गई।
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मछलियाँ पकड़ने के बावजूद उन्हें बेचने की जगह न मिलने से भारी नुकसान हुआ।
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कई मछुआरे और मच्छीवाले कर्ज में डूब गए।
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उपभोक्ताओं ने भी मछली खरीदना कम कर दिया क्योंकि बाजार बंद थे और आवाजाही पर पाबंदी थी।
कोविड के बाद की स्थिति
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धीरे-धीरे नावों का संचालन फिर से शुरू हुआ और मछली बाजार खुले।
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अब मच्छीवाले डिजिटल पेमेंट और होम डिलीवरी सेवाओं का इस्तेमाल करने लगे हैं।
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हालांकि डीज़ल, नावों के रखरखाव और मजदूरी की बढ़ती लागत ने मछुआरों की कमाई पर असर डाला है।
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आज भी मछली व्यापार मुंबई की फूड सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बना हुआ है।
मछली की कीमतें (Fish Rates in Mumbai)
नीचे मुंबई में कुछ प्रमुख मछलियों के रिटेल और थोक दरें दी गई हैं:
मछली का प्रकार |
अनुमानित कीमत (₹ प्रति किग्रा) |
पापलेट (Pomfret) |
₹1,040 – ₹1,100 |
सुरमई (King Mackerel / Seer Fish) |
₹650 – ₹1,100 |
बांगड़ा (Indian Mackerel) |
₹600 |
सारडीन (Sardine / Tarli) |
₹260 – ₹440 |
क्रैब (Crab) |
₹750 – ₹780 |
झींगा (Prawn) |
₹650 – ₹910 |
एंकोवी (Anchovy / Nethili) |
₹180 – ₹390 |
रॉहू (Rohu) |
₹250 |
ट्यूना (Tuna) |
₹450 (Yellow Tuna) |
मछलियों को आमतौर पर निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
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प्रिमियम/महंगी मछलियाँ: पापलेट, सुरमई
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मध्यम कीमत: बांगड़ा, झींगा, क्रैब
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सस्ती/लोकप्रिय: सारडीन, रोहू, एंकोवी
2. मछलियाँ समुद्र में कितनी दूर जाती हैं? (फिशिंग दूरी)
परंपरागत मुंबई मछुआरे पहले समुद्र में 2–3 किलोमीटर तक जाकर मछलियाँ पकड़ते थे।
लेकिन हाल के वर्षों में, मछलियों की कमी और समुद्र के पर्यावरणीय परिवर्तन (जैसे समुद्री तापमान में वृद्धि) के कारण अब उन्हें 30–40 किमी दूर तक जाना पड़ता है ताकि पर्याप्त मात्रा में मछली मिल सके।
3. मुंबई के समुद्री जीवों और मछलियों की विविधता (Species)
मुंबई और आसपास के जलराशि में कुछ प्रमुख और लोकप्रिय मछलियाँ हैं:
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पापलेट (Pomfret): सफेद (Silver), चीनी (Kafri), और काला (Halwa)
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सुरमई (King Mackerel / Seer Fish / Vanjaram): एक महंगी और स्वादिष्ट मछली
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बांगड़ा (Indian Mackerel): अधिकतम मात्रा में उपलब्ध और लोकप्रिय
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सारडीन (Tarli): एक सस्ती और सामान्य मछली, मुख्य रूप से कॉमर्शियल उपयोग में
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रावस (Indian Salmon / Rawas): महंगी और पूरे वर्ष उपलब्ध रहने वाली मछली
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रिबनफ़िश (Hairtail / Vakti) और Cephalopods (जैसे इंकट और स्क्विड) भी प्रचलित हैं
4. लोकप्रिय मछलियाँ – समुदाय की पसंद (लोकप्रियता)
मुंबई में सबसे स्वादिष्ट और लोकप्रिय मछलियाँ इस क्रम में मानी जाती हैं:
रावस, हलवा (ब्लैक पापलेट), पापलेट और बॉम्बिल (Bombay Duck)।
संक्षेप में (Summary)
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मछली की कीमतें: ₹250 से ₹1,100+ तक (प्रिमियम जैसे पापलेट और सुरमई महंगी, जबकि सारडीन और रोहू सस्ती)
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मछली पकड़ने की दूरी: पहले 2–3 किमी, अब 30–40 किमी तक
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मुख्य प्रजातियाँ: पापलेट, सुरमई, बांगड़ा, सारडीन, रावस, रिबनफ़िश
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लोकप्रिय मछलियाँ: रावस, हलवा, पापलेट, बॉम्बिल
मुंबई का मच्छीवाला व्यवसाय शहर की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर है। नाव से लेकर बाजार तक की इस यात्रा में परिश्रम, परंपरा और आजीविका की कहानी छिपी हुई है। कोविड ने इस व्यवसाय को गहरी चोट पहुँचाई, लेकिन मछुआरों और मच्छीवालों की मेहनत और अनुकूलन क्षमता ने इसे फिर से पटरी पर ला दिया।
FAQ
प्रश्न 1: मुंबई में मछली की औसत कीमत कितनी होती है?
उत्तर: मुंबई में मछली की कीमत ₹250 से लेकर ₹1,100+ प्रति किलो तक होती है। पापलेट और सुरमई जैसी मछलियाँ महंगी होती हैं, जबकि सारडीन और रोहू अपेक्षाकृत सस्ती मिलती हैं।
प्रश्न 2: मछुआरे समुद्र में कितनी दूरी तक जाते हैं?
उत्तर: पहले मछुआरे 2–3 किलोमीटर तक ही जाते थे, लेकिन अब मछलियों की कमी के कारण उन्हें 30–40 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है।
प्रश्न 3: मुंबई में सबसे लोकप्रिय मछलियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर: रावस, हलवा (ब्लैक पापलेट), पापलेट और बॉम्बिल (Bombay Duck) मुंबई में सबसे पसंदीदा मछलियाँ हैं।
प्रश्न 4: मुंबई में कौन-कौन सी प्रमुख मछली प्रजातियाँ मिलती हैं?
उत्तर: पापलेट, सुरमई, बांगड़ा, सारडीन, रावस, झींगा, क्रैब, रिबनफ़िश और ट्यूना जैसी मछलियाँ प्रमुख हैं।
प्रश्न 5: मछलियों को किस श्रेणी में बाँटा जाता है?
उत्तर:
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प्रिमियम/महंगी मछलियाँ – पापलेट, सुरमई
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मध्यम कीमत वाली – बांगड़ा, झींगा, क्रैब
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सस्ती/लोकप्रिय – सारडीन, रोहू, एंकोवी
प्रश्न 6: क्या मछली पूरे साल मिलती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन कुछ मछलियाँ मौसमी होती हैं। जैसे मानसून के समय मछुआरे समुद्र में कम जाते हैं, इसलिए उस समय मछलियों की उपलब्धता और कीमत पर असर पड़ता है।
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