चाँदी (Silver) मानव सभ्यता की सबसे प्राचीन और बहुमूल्य धातुओं में से एक है। भारत में इसका उपयोग न केवल आभूषणों और सिक्कों में होता है, बल्कि यह औद्योग
जानिए भारत में चाँदी के आयात और गिरावट के बारे में
चाँदी (Silver) मानव सभ्यता की सबसे प्राचीन और बहुमूल्य धातुओं में से एक है। भारत में इसका उपयोग न केवल आभूषणों और सिक्कों में होता है, बल्कि यह औद्योगिक क्षेत्र, सौर ऊर्जा उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, चिकित्सा, और निवेश साधनों में भी बड़ी मात्रा में प्रयुक्त होती है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े चाँदी उपभोक्ताओं में से एक है, लेकिन देश में चाँदी का घरेलू उत्पादन बहुत कम है, इसलिए भारत अपनी अधिकांश चाँदी की आवश्यकता को आयात (Import) के माध्यम से पूरा करता है।
हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में चाँदी के आयात में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है — कुछ वर्षों में रिकॉर्ड आयात हुए हैं, जबकि कुछ वर्षों में आयात में भारी गिरावट आई है। इस लेख में हम 2000 से लेकर 2025 तक भारत में चाँदी के आयात की स्थिति, इसके रुझान, गिरावट के कारण और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रमुख वर्ष और आयात / गिरावट के संकेत
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वर्ष / अवधि |
आयात की स्थिति और गिरावट |
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2016 |
भारत में चाँदी का आयात लगभग 3,000 मेट्रिक टन तक गिर गया था। यह पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 60% की कमी थी। |
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2020–21 |
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण चाँदी के आयात में गिरावट आई। |
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2023 |
चाँदी के आयात में लगभग 63% की कमी दर्ज की गई, जो भारी गिरावट थी। |
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2025 (पहले आठ महीने) |
2025 के पहले आठ महीनों में चाँदी का आयात 42% तक कम हुआ। |
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गुजरात (अप्रैल–मई 2023) |
गुजरात एयर कार्गो टर्मिनल के माध्यम से चाँदी का आयात 98% तक घट गया था। |
भारत में चाँदी के आयात का इतिहास (2000–2025)
1. वर्ष 2000–2010: स्थिर लेकिन बढ़ती मांग
2000 के दशक की शुरुआत में भारत में चाँदी का उपयोग मुख्यतः आभूषण, पूजा-पाठ और सजावटी वस्तुओं में होता था। इस दौरान आयात की मात्रा लगभग 2,000 से 3,000 टन के बीच रही।
2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद निवेशकों ने सोने के साथ-साथ चाँदी को भी एक सुरक्षित निवेश माध्यम के रूप में अपनाना शुरू किया, जिससे चाँदी की मांग बढ़ी।
2. वर्ष 2011–2015: औद्योगिक उपयोग में वृद्धि
2010 के बाद चाँदी की मांग में बड़ा उछाल देखा गया। सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में इसके बढ़ते प्रयोग ने आयात को बढ़ाया।
भारत ने इस अवधि में औसतन 5,000 से 6,000 टन के बीच चाँदी का आयात किया।
3. वर्ष 2016: बड़ी गिरावट का वर्ष
2016 में भारत में चाँदी का आयात लगभग 3,000 मेट्रिक टन तक गिर गया था, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 60% की कमी थी।
यह गिरावट कीमतों में तेजी, निवेश मांग की कमी और सरकार की नीतिगत सीमाओं के कारण आई थी।
4. वर्ष 2020–2021: कोविड-19 का प्रभाव
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने वैश्विक व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया। इस अवधि में भारत का चाँदी आयात लगभग 30–40% घट गया।
फैक्ट्रियों के बंद होने, लॉजिस्टिक समस्याओं और मांग की कमी के कारण आयात में भारी गिरावट दर्ज की गई।
5. वर्ष 2023: आयात में ऐतिहासिक गिरावट
2023 में भारत के चाँदी आयात में लगभग 63% की गिरावट हुई।
इस वर्ष निवेशकों ने कीमतों में तेज़ी के कारण खरीदारी कम की, जबकि उद्योगों ने पहले से मौजूद स्टॉक का उपयोग किया।
6. वर्ष 2024: रिकॉर्ड आयात
2024 में भारत ने इतिहास का सबसे अधिक चाँदी आयात किया। अनुमान के अनुसार, कुल आयात लगभग 7,600–7,700 टन रहा।
इस वर्ष औद्योगिक मांग, बैंकिंग स्टॉकिंग और निवेश के चलते आयात में बड़ा उछाल आया।
7. वर्ष 2025 (जनवरी–अगस्त): पुनः गिरावट
2025 के पहले आठ महीनों में चाँदी के आयात में लगभग 42% की गिरावट दर्ज की गई।
2024 में अत्यधिक आयात और बढ़े हुए स्टॉक के कारण 2025 में मांग घट गई।
चाँदी के आयात में गिरावट के प्रमुख कारण
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अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी:
जब चाँदी की वैश्विक कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय बाजार में आयात महँगा हो जाता है, जिससे आयातक अपनी खरीद कम कर देते हैं। -
कमजोर रुपया और ऊँचा आयात शुल्क:
रुपये के कमजोर होने से डॉलर में खरीदी गई चाँदी की कीमत भारत में और अधिक बढ़ जाती है। इसके साथ ही आयात शुल्क में वृद्धि से लागत और बढ़ जाती है। -
औद्योगिक मांग में अस्थिरता:
इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर ऊर्जा क्षेत्र में कभी-कभी मांग घटने से आयात भी कम होता है। -
नीतिगत बदलाव:
सरकार द्वारा आयात शुल्क और कस्टम नीति में बदलाव से व्यापारियों को अस्थिरता का सामना करना पड़ता है। -
स्टॉक का अधिक जमाव:
2024 जैसे वर्षों में अधिक आयात होने पर अगले वर्ष मांग घट जाती है क्योंकि उद्योगों के पास पहले से पर्याप्त स्टॉक होता है। -
वैश्विक आपूर्ति की कमी:
चाँदी मुख्यतः अन्य धातुओं (कॉपर, सीसा, जिंक) के साथ निकाली जाती है, जिससे उत्पादन तुरंत नहीं बढ़ाया जा सकता। यह स्थिति कीमतों पर ऊपर की ओर दबाव डालती है।
गिरावट के प्रमुख कारण
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उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतें:
जब चाँदी की कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं, तो उद्योग और व्यापारी आयात कम कर देते हैं। -
कोविड-19 का प्रभाव:
2020–21 में वैश्विक लॉकडाउन और सप्लाई चेन बाधाओं के कारण आयात घट गया। -
आयात शुल्क और नियमों में बदलाव:
सरकार द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने और नीतियों में बदलाव के कारण आयात महंगा हुआ। -
अधिक स्टॉक का जमाव:
कुछ वर्षों में पहले से अधिक आयात होने के कारण अगले वर्षों में आयात घट गया क्योंकि पर्याप्त स्टॉक पहले से मौजूद था।
भारत में चाँदी का आयात वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करता है। 2016, 2020–21 और 2023 जैसे वर्षों में आयात में बड़ी गिरावट आई, जबकि 2024 में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई।
वर्तमान स्थिति यह दर्शाती है कि भविष्य में औद्योगिक मांग बढ़ने से चाँदी का आयात फिर से बढ़ सकता है, परन्तु ऊँची कीमतें और नीतिगत बदलाव इसका रुझान तय करेंगे।
FAQ
प्रश्न 1: भारत में चाँदी का सबसे अधिक आयात किस वर्ष हुआ?
2024 में भारत ने लगभग 7,600–7,700 टन चाँदी का रिकॉर्ड आयात किया था।
प्रश्न 2: चाँदी के आयात में सबसे अधिक गिरावट कब आई थी?
2023 में चाँदी के आयात में लगभग 63% की कमी दर्ज की गई थी।
प्रश्न 3: 2025 में चाँदी के आयात की स्थिति क्या है?
2025 के पहले आठ महीनों में चाँदी का आयात 42% तक कम हुआ है।
प्रश्न 4: चाँदी की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
वैश्विक आपूर्ति की कमी, औद्योगिक माँग, कमजोर रुपया और ऊँचा आयात शुल्क इसके प्रमुख कारण हैं।
प्रश्न 5: कोविड-19 का चाँदी के आयात पर क्या असर पड़ा?
2020–21 में लॉकडाउन और आपूर्ति बाधाओं के कारण भारत का चाँदी आयात लगभग 30–40% घट गया था।
प्रश्न 6: क्या भविष्य में चाँदी का आयात फिर से बढ़ सकता है?
हाँ, औद्योगिक और निवेश आधारित मांग बढ़ने से आने वाले वर्षों में भारत का चाँदी आयात फिर से ऊँचाई पर पहुँच सकता है।


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