शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) का मतलब होता है — ऐसे शेयर को बेचना जो आपके पास नहीं है, इस उम्मीद में कि उसका भाव (Price) नीचे गिरेगा, ताकि आप बाद में उ
शेयर मार्केट में शॉर्ट सेलिंग क्या है
शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) का मतलब होता है — ऐसे शेयर को बेचना जो आपके पास नहीं है, इस उम्मीद में कि उसका भाव (Price) नीचे गिरेगा, ताकि आप बाद में उसे सस्ते में खरीदकर वापस दे सकें और मुनाफा कमा सकें।
आसान भाषा में समझिए:
आम तौर पर निवेशक पहले शेयर खरीदते हैं और बाद में जब भाव बढ़ता है तो बेचते हैं — इसे कहते हैं "Buy Low, Sell High" (सस्ता खरीदो, महंगा बेचो)।
लेकिन शॉर्ट सेलिंग में उल्टा होता है — आप पहले महंगा बेचते हैं, फिर बाद में सस्ता खरीदते हैं।
उदाहरण:
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मान लीजिए XYZ कंपनी का शेयर इस समय ₹1,000 का है।
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आपको लगता है कि इसका भाव जल्द ही गिर जाएगा।
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आप ब्रोकर से 1 शेयर उधार लेते हैं और उसे मार्केट में ₹1,000 में बेच देते हैं।
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कुछ दिनों बाद शेयर का भाव गिरकर ₹800 हो जाता है।
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अब आप वह शेयर ₹800 में खरीदकर ब्रोकर को वापस कर देते हैं।
आपका मुनाफा:
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आपने बेचा ₹1,000 में
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खरीदा ₹800 में
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मुनाफा = ₹200 (₹1,000 - ₹800)
शॉर्ट सेलिंग का रिस्क:
अगर शेयर का भाव बढ़ गया (मान लीजिए ₹1,200 हो गया), तो आपको महंगा खरीदना पड़ेगा, जिससे ₹200 का नुकसान होगा।
शेयर का भाव कितना भी ऊपर जा सकता है, इसलिए नुकसान की कोई सीमा नहीं होती।
शॉर्ट सेलिंग का मतलब है — किसी शेयर को बिना मालिकाना हक के बेचना, यह सोचकर कि भाव गिरेगा, ताकि बाद में सस्ते में खरीदकर मुनाफा कमाया जा सके।
FAQ
प्रश्न 1: शॉर्ट सेलिंग कब की जाती है?
जब निवेशक को लगता है कि किसी शेयर का भाव नीचे जाएगा, तब वह शॉर्ट सेलिंग करता है।
प्रश्न 2: क्या शॉर्ट सेलिंग में शेयर अपने पास होते हैं?
नहीं, शॉर्ट सेलिंग में शेयर उधार लिए जाते हैं और बाद में वापस किए जाते हैं।
प्रश्न 3: शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कैसे होता है?
महंगे दाम पर शेयर बेचकर और बाद में सस्ते में खरीदकर मुनाफा कमाया जाता है।
प्रश्न 4: शॉर्ट सेलिंग में नुकसान कैसे हो सकता है?
अगर शेयर का भाव गिरने की बजाय बढ़ जाए, तो आपको महंगा खरीदना पड़ता है और नुकसान होता है।
प्रश्न 5: क्या भारत में शॉर्ट सेलिंग हर निवेशक कर सकता है?
भारत में केवल इंट्राडे ट्रेडिंग या फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) से ही शॉर्ट सेलिंग की अनुमति होती है, और वह भी नियत नियमों के तहत।
प्रश्न 6: शॉर्ट सेलिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में क्या फर्क है?
इंट्राडे में शेयर एक ही दिन में खरीदे और बेचे जाते हैं, जबकि शॉर्ट सेलिंग में पहले बेचना और बाद में खरीदना शामिल होता है।
प्रश्न 7: क्या शॉर्ट सेलिंग लंबी अवधि के लिए की जा सकती है?
नहीं, भारतीय बाजार में शॉर्ट सेलिंग सिर्फ डे ट्रेडिंग (Intraday) या F&O कॉन्ट्रैक्ट्स में की जाती है, लंबी अवधि के लिए नहीं।


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