नवजात शिशु का रोना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जन्म के बाद रोना ही उसका पहला तरीका होता है अपनी ज़रूरतें और असुविधा बताने का। लेकिन कई बार माता-पिता यह
जानिए नवजात शिशु क्यों रोता है इतना? जानिए कारण, उपाय और घरेलू उपचार
नवजात शिशु का रोना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जन्म के बाद रोना ही उसका पहला तरीका होता है अपनी ज़रूरतें और असुविधा बताने का। लेकिन कई बार माता-पिता यह समझ नहीं पाते कि बच्चा आखिर इतना क्यों रो रहा है और उसे कैसे शांत करें। आइए जानते हैं कि नवजात शिशु के रोने के प्रमुख कारण, उनके इलाज और घरेलू उपाय क्या हैं।
नवजात शिशु के रोने के प्रमुख कारण
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भूख लगना
बच्चे के रोने का सबसे आम कारण भूख होती है। नवजात को हर 2–3 घंटे में दूध की आवश्यकता होती है। यदि समय पर दूध न मिले तो बच्चा ज़ोर से रोने लगता है। -
गीला या गंदा डायपर
अगर बच्चे का डायपर गीला या गंदा है तो उसे असहज महसूस होता है। इस स्थिति में बच्चा रोकर संकेत देता है कि उसे साफ डायपर चाहिए। -
गैस या पेट दर्द (Colic)
कई बार दूध पीने के दौरान बच्चा हवा निगल लेता है, जिससे पेट में गैस बनती है और दर्द होता है। यह दर्द बच्चे को बेचैन कर देता है और वह रोने लगता है। -
नींद की कमी या थकान
यदि बच्चा बहुत देर तक जागा रहा है या शोरगुल में सो नहीं पा रहा है, तो वह थकान या चिड़चिड़ेपन के कारण रोता है। -
तापमान में बदलाव (बहुत ठंडा या गर्म लगना)
बच्चे का शरीर तापमान के प्रति संवेदनशील होता है। अगर बहुत ठंडा या गर्म माहौल हो तो बच्चा असुविधा महसूस करता है और रोने लगता है। -
कपड़ों की असुविधा या टाइट कपड़े
तंग कपड़े या कंबल में ज़्यादा लपेट देने से बच्चा असहज हो सकता है। -
गोद या स्नेह की ज़रूरत
कई बार बच्चा सिर्फ माँ या पिता के स्पर्श और गोद की चाहत में भी रोता है। यह उसका भावनात्मक जुड़ाव का संकेत होता है। -
बीमारी या दर्द
यदि बच्चे को बुखार, कान दर्द या किसी अन्य समस्या के कारण असहजता हो, तो वह लगातार रो सकता है।
घरेलू उपाय और राहत के तरीके
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बच्चे को गोद में लेकर शांत करें
माँ की गोद, प्यार भरी आवाज़ और हल्के थपथपाने से बच्चा जल्दी शांत हो जाता है। -
डकार दिलाना न भूलें (Burping)
दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाना ज़रूरी है ताकि पेट में फंसी गैस निकल सके। -
हल्की मालिश करें (Baby Massage)
सरसों या नारियल के तेल से हल्की मालिश करने से बच्चे को आराम और नींद आती है। -
गुनगुना पानी से स्नान
हल्के गर्म पानी से नहलाने से बच्चे को आराम मिलता है और शरीर रिलैक्स होता है। -
साफ-सुथरा वातावरण रखें
बच्चे के आसपास शांति और हल्की रोशनी रखें ताकि उसे आराम महसूस हो। -
पेट की गैस के लिए उपाय
डॉक्टर की सलाह से गैस ड्रॉप्स (जैसे सिमेथिकोन) दी जा सकती हैं। साथ ही, बच्चे के पेट पर हल्के हाथ से गोलाई में मालिश करें। -
नींद का ध्यान रखें
बच्चे को समय पर सुलाना ज़रूरी है। दिन में 14–17 घंटे की नींद नवजात के लिए सामान्य है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें
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यदि बच्चा लगातार 3 घंटे से अधिक रो रहा है।
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बुखार, उल्टी या दस्त हो रहे हैं।
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दूध नहीं पी रहा या बहुत कमजोर दिख रहा है।
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शरीर पर दाने या सूजन दिखाई दे रही है।
नवजात शिशु का रोना उसकी भाषा है, जिसके माध्यम से वह अपनी ज़रूरतें और असहजता व्यक्त करता है। माता-पिता को घबराने की बजाय ध्यानपूर्वक यह समझना चाहिए कि बच्चा किस कारण रो रहा है। प्यार, देखभाल और थोड़ी समझदारी से अधिकांश समस्याओं का समाधान घर पर ही किया जा सकता है।
FAQ
प्रश्न 1: नवजात शिशु इतना ज़्यादा क्यों रोता है?
उत्तर: नवजात शिशु का रोना उसकी ज़रूरतें बताने का तरीका है — जैसे भूख लगना, डायपर गीला होना, नींद आना या पेट में गैस होना।
प्रश्न 2: क्या बच्चे का रोज़ रोना सामान्य है?
उत्तर: हाँ, नवजात शिशु का दिन में कुछ घंटे रोना बिल्कुल सामान्य है। अगर बच्चा रोने के बाद दूध पीकर या गोद में शांत हो जाता है, तो चिंता की बात नहीं है।
प्रश्न 3: अगर बच्चा लगातार 2-3 घंटे से अधिक रो रहा है तो क्या करें?
उत्तर: यदि बच्चा बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार रो रहा है, दूध नहीं पी रहा, या बेचैन है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
प्रश्न 4: गैस की वजह से रोने पर क्या करें?
उत्तर: बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाएँ, पेट पर हल्की गोलाकार मालिश करें और जरूरत हो तो डॉक्टर की सलाह से गैस ड्रॉप्स दें।
प्रश्न 5: क्या बच्चा केवल गोद में उठाने के लिए रोता है?
उत्तर: हाँ, कई बार बच्चा माँ या पिता के स्नेह, स्पर्श और सुरक्षा महसूस करने के लिए भी रोता है। गोद में लेने से वह शांत हो जाता है।
प्रश्न 6: क्या ज्यादा रोने से बच्चे को कोई नुकसान होता है?
उत्तर: नहीं, सामान्य रोना नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर बच्चा लंबे समय तक या बार-बार बिना कारण रोता है, तो यह किसी शारीरिक असुविधा का संकेत हो सकता है।
प्रश्न 7: घर पर बच्चे को शांत करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर: बच्चे को गोद में लेकर प्यार से सहलाएँ, हल्की मालिश करें, गुनगुने पानी से स्नान कराएँ और शांत वातावरण रखें — ये सभी घरेलू उपाय काफी प्रभावी होते हैं।


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