हम सभी चाहते हैं कि हमारी व्यक्तिगत बातें, फोटो, कॉल, चैट, मेडिकल रिकॉर्ड, बैंक डिटेल्स या घर की प्राइवेसी कोई बिना अनुमति के न देखे। इसी को Right to
“क्या ‘निजता का अधिकार’ भारत में मौलिक अधिकार है ?
हम सभी चाहते हैं कि हमारी व्यक्तिगत बातें, फोटो, कॉल, चैट, मेडिकल रिकॉर्ड, बैंक डिटेल्स या घर की प्राइवेसी कोई बिना अनुमति के न देखे। इसी को Right to Privacy — निजता का अधिकार कहा जाता है। भारत में यह अधिकार अब एक मौलिक अधिकार है, जिसे हर नागरिक को संविधान ने सुरक्षा दी है।
निजता का अधिकार क्या है?
निजता का अधिकार मतलब:
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आपकी व्यक्तिगत जानकारी को बिना आपकी अनुमति कोई इस्तेमाल नहीं कर सकता।
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सरकार, कंपनी या व्यक्ति—कोई भी आपके जीवन में ज़बरदस्ती दखल नहीं दे सकता।
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आपको अपने जीवन के फैसले लेने की आज़ादी है—जैसे किससे बात करें, कौन-सी फोटो शेयर करें, किसे जानकारी दें या न दें।
क्या Right to Privacy मौलिक अधिकार है? (हाँ!)
हाँ, भारत में ‘Right to Privacy’ एक मौलिक अधिकार है।
यह अधिकार 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले Puttaswamy Case में दिया।
इसे अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा माना गया है।
इसका मतलब:
“बिना निजता के, जीवन और स्वतंत्रता का सम्मान नहीं हो सकता।”
उदाहरण से समझें
उदाहरण 1 — मोबाइल डेटा और फोटो
कोई कंपनी या ऐप आपकी फोटो, कॉन्टैक्ट, माइक्रोफोन या लोकेशन आपकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकता।
उदाहरण 2 — Aadhaar Verification
Aadhaar देना या न देना कई जगह आपकी चॉइस है। हर जगह जबरदस्ती आधार नंबर लेना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
उदाहरण 3 — घर की प्राइवेसी
कोई पुलिस या सरकारी अधिकारी बिना कानूनन वारंट के आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकता।
उदाहरण 4 — हेल्थ/मेडिकल रिपोर्ट
आपके मेडिकल रिपोर्ट या बीमारी को डॉक्टर आपकी अनुमति के बिना किसी को नहीं बता सकता।
Right to Privacy हमें क्या-क्या सुरक्षा देता है?
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डेटा प्रोटेक्शन: मोबाइल, बैंक, सोशल मीडिया डेटा सुरक्षित रखना
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बॉडी ऑटोनॉमी: मेडिकल टेस्ट, वैक्सीन आदि में सहमति ज़रूरी
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डिजिटल प्राइवेसी: आपकी ऑनलाइन गतिविधि की निगरानी नहीं
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फैमिली/पर्सनल पीस: आपकी निजी जिंदगी में दखल नहीं
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कंपनियों द्वारा उपयोग: कंपनियां आपकी जानकारी बेच नहीं सकतीं
किन परिस्थितियों में सरकार हस्तक्षेप कर सकती है?
निजता का अधिकार पूर्ण (Absolute) नहीं है। कुछ स्थितियों में सरकार हस्तक्षेप कर सकती है:
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राष्ट्रीय सुरक्षा
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आतंकवाद की जांच
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अपराध रोकने के लिए
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कोर्ट के आदेश पर
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सार्वजनिक हित में
लेकिन इसके लिए जायज़ कारण और कानूनन आधार होना ज़रूरी है।
FAQ
1) क्या Right to Privacy भारत में मौलिक अधिकार है?
हाँ, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मौलिक अधिकार घोषित किया। यह अनुच्छेद 21 का हिस्सा है।
2) क्या सरकार मेरी निजी जानकारी बिना अनुमति इस्तेमाल कर सकती है?
नहीं। सरकार केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराध जांच या कोर्ट आदेश होने पर सीमित रूप से दखल दे सकती है।
3) क्या मोबाइल ऐप्स मेरी फोटो, कॉन्टैक्ट या लोकेशन खुद-ब-खुद ले सकते हैं?
नहीं। बिना आपकी अनुमति कोई ऐप आपकी निजी जानकारी नहीं ले सकता। यह प्राइवेसी का उल्लंघन है।
4) क्या आधार कार्ड देना ज़रूरी है?
हर जगह नहीं। कई सेवाओं में आधार देना ऐच्छिक है। ज़बरदस्ती आधार लेना निजता का उल्लंघन माना जा सकता है।
5) क्या डॉक्टर मेरी मेडिकल रिपोर्ट किसी को बता सकते हैं?
नहीं। डॉक्टर आपकी बीमारी या रिपोर्ट बिना आपकी अनुमति किसी को नहीं बता सकते।
6) क्या पुलिस बिना वारंट घर में घुस सकती है?
नहीं। सामान्य परिस्थितियों में पुलिस को वारंट चाहिए। बिना वजह घर में घुसना आपकी निजता का उल्लंघन है।
7) क्या सोशल मीडिया पर मेरी चैट कोई पढ़ सकता है?
नहीं। आपकी निजी चैट किसी के भी पढ़ने या मॉनिटर करने पर क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है।
8) क्या Right to Privacy पूर्ण (Absolute) अधिकार है?
नहीं। यह सीमित (Restricted) है। राष्ट्रीय सुरक्षा या अपराध जांच जैसी स्थितियों में हस्तक्षेप हो सकता है।
9) क्या कंपनियां मेरी जानकारी बेच सकती हैं?
नहीं। यह कानूनन गलत है। आपकी अनुमति के बिना डेटा बेचना प्राइवेसी का उल्लंघन है।
10) मुझे कैसे पता चले कि मेरी प्राइवेसी का उल्लंघन हुआ है?
यदि कोई व्यक्ति/कंपनी आपकी अनुमति के बिना:
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आपकी फोटो/वीडियो शेयर करे
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आपके डेटा का गलत उपयोग करे
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जबरदस्ती जानकारी मांगे
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आपका पीछा करे या जासूसी करे
तो यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।


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