भारत में लिंग अनुपात (Gender Ratio) लगातार घटने के कारण सरकार ने एक बहुत ही सख्त कानून बनाया — Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (Pro
जानिए पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 (PCPNDT Act, 1994): भ्रूण लिंग निर्धारण पर रोक लगाने वाला कानून
भारत में लिंग अनुपात (Gender Ratio) लगातार घटने के कारण सरकार ने एक बहुत ही सख्त कानून बनाया — Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition of Sex Selection) Act, 1994, जिसे हम संक्षेप में पीसीपीएनडीटी एक्ट कहते हैं। इसका उद्देश्य है लड़कियों के भ्रूण हत्या (female foeticide) को रोकना और लिंग समानता को बढ़ावा देना। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
1. पीसीपीएनडीटी एक्ट क्या है?
यह कानून भ्रूण के लिंग की जांच (sex determination) को गर्भधारण से पहले और गर्भ के दौरान करने पर रोक लगाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य है यह सुनिश्चित करना कि कोई भी डॉक्टर, लैब या व्यक्ति यह नहीं बता सके कि गर्भ में लड़का है या लड़की।
2. इस कानून की शुरुआत क्यों हुई?
1990 के दशक में भारत में लड़कियों की संख्या लड़कों से बहुत कम होने लगी थी।
कई जगह लोग लड़की होने के डर से गर्भपात करवा देते थे।
ऐसे में सरकार ने यह कानून 1994 में बनाया और 2003 में इसे और सख्त कर दिया ताकि कोई भी व्यक्ति भ्रूण का लिंग न बता सके।
3. इस कानून के अंतर्गत कौन-कौन आ सकते हैं?
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डॉक्टर
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अल्ट्रासाउंड सेंटर
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नर्सिंग होम
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मेडिकल लैब
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टेक्नीशियन
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और वो सभी व्यक्ति जो गर्भ जांच से जुड़ी सेवाएं देते हैं
इन सभी को सरकार के पास रजिस्टर करवाना अनिवार्य है।
4. क्या चीजें इस एक्ट के अंतर्गत प्रतिबंधित हैं?
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गर्भ से पहले या बाद में लिंग की जांच करना या करवाना।
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गर्भ में बच्चे के लिंग की जानकारी किसी को देना या प्रचार करना।
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अल्ट्रासाउंड मशीन का गलत इस्तेमाल करना।
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लिंग जांच की विज्ञापन या प्रचार सामग्री प्रकाशित करना।
5. यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे तो सजा क्या है?
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पहली बार अपराध पर: 3 साल तक की कैद और ₹10,000 तक का जुर्माना।
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दूसरी बार अपराध पर: 5 साल तक की कैद और ₹50,000 तक का जुर्माना।
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दोषी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है।
6. उदाहरण से समझिए:
मान लीजिए एक गर्भवती महिला किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जांच के लिए जाती है।
अगर डॉक्टर या टेक्नीशियन उसे बताए कि “आपके पेट में लड़की है” —
तो यह पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन है।
डॉक्टर पर कार्रवाई होगी और सेंटर भी सील किया जा सकता है।
7. लोगों की क्या जिम्मेदारी है?
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लिंग जांच की मांग न करें।
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ऐसे डॉक्टर या क्लिनिक की शिकायत करें जो भ्रूण का लिंग बताते हैं।
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लड़कियों को समान अधिकार देने में समाज की भागीदारी जरूरी है।
8. शिकायत कहां करें?
अगर किसी को लिंग जांच करवाने या बताने की जानकारी हो,
तो निकटतम मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) या जिला स्वास्थ्य अधिकारी को तुरंत शिकायत की जा सकती है।
राज्य और जिला स्तर पर PCPNDT सेल भी इस पर नजर रखता है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट, 1994 केवल एक कानून नहीं, बल्कि लड़कियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए देश की एक बड़ी पहल है।
यदि समाज और डॉक्टर मिलकर इसका पालन करें, तो “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का सपना पूरी तरह साकार हो सकता है।
उदाहरण से सीख:
अगर कोई व्यक्ति कहे कि “मुझे अल्ट्रासाउंड में बता दो कि लड़का है या लड़की,”
तो उसे तुरंत समझाना चाहिए कि यह कानूनी अपराध है — और हम सभी को इसे रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
FAQ
प्रश्न 1. पीसीपीएनडीटी एक्ट क्या है?
यह एक कानून है जो भ्रूण के लिंग की जांच और लिंग आधारित गर्भपात पर रोक लगाता है।
प्रश्न 2. यह एक्ट कब लागू हुआ था?
यह कानून वर्ष 1994 में पारित हुआ और 1 जनवरी 1996 से पूरे भारत में लागू किया गया।
प्रश्न 3. इस कानून का पूरा नाम क्या है?
इसका पूरा नाम है Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition of Sex Selection) Act, 1994।
प्रश्न 4. इस कानून की जरूरत क्यों पड़ी?
क्योंकि देश में लड़कियों की संख्या तेजी से घट रही थी और लोग भ्रूण का लिंग जानकर लड़कियों का गर्भपात करवा रहे थे।
प्रश्न 5. क्या डॉक्टर लिंग बता सकते हैं?
नहीं, कोई भी डॉक्टर या क्लिनिक भ्रूण का लिंग नहीं बता सकता। यह अपराध है।
प्रश्न 6. अगर कोई लिंग जांच करवाता है तो क्या होगा?
उस व्यक्ति और जांच करने वाले डॉक्टर — दोनों पर कानूनी कार्रवाई होगी, जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
प्रश्न 7. क्या अल्ट्रासाउंड करवाना गैरकानूनी है?
नहीं, अल्ट्रासाउंड करवाना कानूनी है, लेकिन लिंग बताने या पूछने की मनाही है।
प्रश्न 8. शिकायत कहां की जा सकती है?
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) या स्वास्थ्य विभाग के PCPNDT सेल में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
प्रश्न 9. सजा क्या है अगर कोई कानून तोड़े?
पहली बार अपराध पर 3 साल तक की जेल और ₹10,000 जुर्माना, दूसरी बार 5 साल की जेल और ₹50,000 जुर्माना हो सकता है।
प्रश्न 10. इस कानून से समाज को क्या फायदा हुआ?
इससे लिंग अनुपात में सुधार हुआ और समाज में बेटियों के प्रति सोच धीरे-धीरे बदल रही है।


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